झारखंड राज्य खून की कमी से जूझ रहा है। राज्य के 24 जिलों में कुल 59 ब्लड बैंक हैं–31 नाको सपोर्टेड व 28 निजी। इन सभी ब्लड बैंकों को मिलाकर वर्ष 2020-21 में कुल 2.15 लाख यूनिट खून ही उपलब्ध हो सका है। वहीं राज्य की जनसंख्या के हिसाब से हर साल 3.15 लाख यूनिट की आवश्यकता होती है। वित्तीय वर्ष 2021-22 के अप्रैल व मई महीने में अब तक केवल 14,490 यूनिट ब्लड ही इकट्ठा हो सका है।
झारखंड की राजधानी राँची के तकरीबन 250 अस्पताल, नर्सिंग होम व क्लिनिकों में हर रोज 350-400 यूनिट खून की आवश्यकता होती है लेकिन शहर के 13-14 ब्लड बैंक इस जरूरत को पूरा नहीं कर पाते हैं। जानकारों के अनुसार यदि हर अस्पताल प्रतिदिन दो यूनिट ब्लड संग्रहित कर ले तो रक्त की कमी से बचा जा सकता है।
रिम्स निदेशक डॉ कामेश्वर प्रसाद कहते हैं कि रिम्स के ब्लड बैंक को मॉडल माना जाता है लेकिन उस हिसाब से सुविधाएं व फैकल्टी नहीं होने से इसमें सुधार की गुंजाइश है। उन्होंने बताया कि इसके लिए रिम्स में डिपार्टमेंट ऑफ ट्रांसफ्यूजन मेडिसिन की आवश्यकता है। उन्होंने लोगों में रक्तदान को ले कर जागरूकता फैलाने की भी बात कही जिससे लोग मुफ्त में खून लेने के बजाय रक्तदान करें। एम्स का उदाहरण देते हुए कहा कि वहाँ भर्ती के समय यदि मरीज को ट्रांसफ्यूजन की आवश्यकता होती है तो डोनर की उपलब्धता पर ही भर्ती लिया जाता है। झारखंड में भी पुरानी धारणा बदलनी चाहिए।
जनमानस में रक्तदान को ले कर जागरूकता नहीं होने के कारण लोग रक्तदान करने के बजाय मुफ्त में ही खून लेना पसंद करते हैं। ऐसे में पर्याप्त मात्रा में रक्त संग्रह नहीं हो पाता है। कोरोना काल में इस संख्या में और भी कमी आई है।