राज्य को वित्तीय अनुशासन की शर्त पर मिले सहायता: आजसू पार्टी

रांची: झारखंड में वित्तीय कुप्रबंधन और विकास योजनाओं में गड़बड़ी को लेकर आजसू पार्टी ने केंद्र सरकार और वित्त आयोग के समक्ष गंभीर चिंता जताई है। शुक्रवार को आयोजित वित्त आयोग की बैठक में आजसू पार्टी की ओर से मुख्य प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत और झारखंड आंदोलनकारी प्रवीण प्रभाकर ने भाग लिया। इस दौरान उन्होंने राज्य में वित्तीय अनुशासन की कमी को उजागर करते हुए आयोग से विशेष हस्तक्षेप की मांग की।

प्रवीण प्रभाकर ने बैठक में कहा कि झारखंड राज्य का गठन लंबे संघर्ष के बाद हुआ है और प्रारंभिक वर्षों में भाजपा–आजसू गठबंधन के नेतृत्व में राज्य ने विकास की दिशा में सकारात्मक कदम बढ़ाए थे। लेकिन विगत 5–6 वर्षों में राज्य में व्याप्त भ्रष्टाचार और वित्तीय कुप्रबंधन के कारण विकास कार्य प्रभावित हुए हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार विकास के प्रति गंभीर नहीं है, जिसका प्रमाण यह है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन स्वयं वित्त आयोग की बैठक में अनुपस्थित रहे।

प्रभाकर ने यह भी मांग की कि खनन परियोजनाओं से प्राप्त राजस्व का उचित और न्यायोचित हिस्सा झारखंड को मिलना चाहिए। साथ ही उन्होंने पेसा कानून को प्रभावी ढंग से लागू करने और लंबे समय से लंबित नगर निकाय चुनाव कराने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

वहीं डॉ. देवशरण भगत ने वित्त आयोग से केंद्रीय अनुदानों के पारदर्शी उपयोग, योजनाओं के समान रूप से क्रियान्वयन और समावेशी विकास को सुनिश्चित करने की अपील की। उन्होंने जन शिकायत निवारण तंत्र को और अधिक प्रभावी बनाने हेतु ठोस दिशानिर्देश जारी करने की भी मांग की।

आजसू नेताओं ने कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने, औद्योगिक विकास और आधारभूत संरचना के विस्तार, जनजातीय समुदायों के विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यटन और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों पर विशेष सहायता देने की आवश्यकता बताई।

अंत में पार्टी ने स्पष्ट किया कि वह राज्य को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में राज्य सरकार का सहयोग करने को तैयार है, लेकिन इसके लिए राज्य सरकार को अपनी नीतियों और कार्यप्रणाली में बदलाव लाना होगा।

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