झारखण्ड राज्य सरकार को लॉकडाउन के दौरान शराब पर कोरोना सेस लगाने से 200 करोड़ का फायदा हुआ है | आपको बता दें कि फायदा प्रदेश के राजस्व खजाने को निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचाने में मिला है। लॉकडाउन के बाद शराब की दुकानें खुलने के साथ ही शराब पर दस फीसद कोरोना सेस लगा दिया गया था। सिर्फ सेस लगाने से राज्य सरकार को करीब 200 करोड़ रुपये के राजस्व खजाने को भरने के लक्ष्य की प्राप्ति हुई है। आपको बता दें कि इस वर्ष राज्य सरकार ने उत्पाद व मद्य निषेध विभाग को 2300 करोड़ रुपये का राजस्व लक्ष्य दिया था। वहीं , लक्ष्य मिलते ही 23 मार्च से झारखंड सहित पुरे देश में लॉकडाउन लग गया था। साथ ही शराब की दुकानें भी बंद हो गई थी |
आपको बता दें कि 50 दिन तक शराब की दुकानें बंद रही और जब 20 मई से राज्य में शराब की दुकानें तो खुली तो बिक्री प्रभावित रही। लॉकडाउन के बाद शराब पर 10 फीसद कोरोना टैक्स और 25 फीसद वैट बढ़ा दिया गया था। वैट पहले 50 फीसद था, जिसे 75 फीसद कर दिया गया था। इससे दुकानदार से लेकर ग्राहक तक परेशान रहें, फिर भी सरकार को राजस्व मिलता रहा। वैट तो अब भी 75 फीसद है, लेकिन 10 फीसद कोरोना टैक्स को एक सप्ताह पहले ही सरकार ने समाप्त कर दिया है | जिससे दुकानदार के साथ -साथ ग्राहक को भी राहत मिली है |
वर्तमान वित्तीय वर्ष में उत्पाद एवं मद्य निषेध विभाग को 1400 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हो चुका है। दरअसल , सरकार से 2300 करोड़ का राजस्व लक्ष्य दिया गया था। विभागीय अधिकारियों को उम्मीद है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में 31 मार्च तक 1700 करोड़ रुपये तक राजस्व लक्ष्य की प्राप्ति हो जाएगी | हालांकि ,कोरोना संक्रमण के बावजूद इस लक्ष्य तक पहुंचना विभाग की उपलब्धि रही। राहत की बात है कि लॉकडाउन के बाद शराब पर जो 10 फीसद कोरोना टैक्स लगा था, उसे राज्य सरकार ने हटा दिया है। 12 फरवरी से कोरोना टैक्स हटने के बाद शराब के लाइसेंसी दुकानदारों से लेकर ग्राहकों तक को राहत मिली है।