गुदड़ी का लाल: रफ्फू कारीगर के बेटे मो. खुर्शीद ने JPSC में पाई सफलता

हजारीबाग/चतरा, 25 जुलाई – कहते हैं मेहनत और आत्मविश्वास के सामने कोई भी बाधा ज्यादा देर टिक नहीं सकती। इस बात को सच कर दिखाया है चतरा जिले के सिमरिया प्रखंड के एक छोटे से गांव कसारी के रहने वाले मोहम्मद खुर्शीद ने। बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाले और रफ्फू का काम करने वाले कारीगर के बेटे ने झारखंड लोक सेवा आयोग (JPSC) की प्रतिष्ठित सिविल सेवा परीक्षा में 78वीं रैंक प्राप्त कर न सिर्फ अपने गांव का, बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है।

गांव से शुरू किया सफर, हजारीबाग में रहकर की तैयारी

मो. खुर्शीद का शुरुआती जीवन कठिनाइयों भरा रहा। उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में ही हुई, लेकिन आगे की पढ़ाई के लिए उन्होंने हजारीबाग का रुख किया। उन्होंने सेंट कोलंबस कॉलेज से इंटरमीडिएट और स्नातक की पढ़ाई पूरी की। हजारीबाग के एक लॉज में किराए के छोटे से कमरे में रहकर उन्होंने JPSC की तैयारी शुरू की। आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी। उनके माता-पिता ने सीमित संसाधनों में भी बेटे के सपनों को जीवित रखा।

पिता बीमार, मां सहिया दीदी – फिर भी नहीं टूटा हौसला

खुर्शीद के पिता मो. हनीफ पिछले तीन वर्षों से अस्वस्थ हैं और इस वक्त हजारीबाग के शेख भिखारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाजरत हैं। परिवार की कमान उनकी मां हामिदा खातून ने अपने कंधों पर उठा रखी है। गांव में सहिया दीदी के रूप में काम कर रहीं हामिदा बेहद कम आमदनी में घर चला रही थीं, लेकिन उन्होंने अपने बेटे को पढ़ने से कभी रोका नहीं। आठ भाई-बहनों में सबसे छोटे खुर्शीद ने मां के सपनों को अपनी प्रेरणा बनाया।

“सपना देखा और हार नहीं मानी” – मो. खुर्शीद

अपनी सफलता के बाद मीडिया से बातचीत करते हुए खुर्शीद ने कहा, “मैंने सिर्फ एक सपना देखा था और उसे साकार करने के लिए लगातार मेहनत करता रहा। हालात कभी अनुकूल नहीं रहे, लेकिन मैंने उन्हें कभी बहाना नहीं बनने दिया।” उन्होंने इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को दिया।

पूरे गांव में जश्न का माहौल

खुर्शीद की सफलता की खबर जैसे ही गांव में पहुंची, पूरे कसारी गांव में खुशी की लहर दौड़ गई। पड़ोसी, शिक्षक और मित्रों ने खुर्शीद के परिवार को बधाई दी। गांववालों ने इसे ‘गुदड़ी का लाल’ कहकर उनकी मेहनत और सफलता को सलाम किया।

सामाजिक प्रेरणा बने खुर्शीद

इस सफलता ने ना सिर्फ खुर्शीद के लिए एक नए भविष्य के द्वार खोले हैं, बल्कि झारखंड के उन तमाम युवाओं के लिए भी प्रेरणा दी है जो सीमित संसाधनों में सपने देख रहे हैं। उनका कहना है कि “संघर्ष से कभी घबराएं नहीं, लगातार मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें, एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।”

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