नया अस्पताल भी पुराने ढर्रे पर, सफाई और सुविधाओं की कमी बनी चुनौती….

जमशेदपुर के डिमना स्थित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के नए अस्पताल की ओपीडी सेवा का शुभारंभ हो चुका है. इस अस्पताल के निर्माण में 492 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं, और सोमवार को 52 मरीजों का इलाज भी हुआ. लेकिन उद्घाटन के बाद से अस्पताल की सुविधाओं की हालत निराशाजनक बनी हुई है. उद्घाटन समारोह के बाद से अस्पताल की सफाई नहीं की गई, और अब शौचालय से बदबू आने लगी है. पहले ही दिन मरीजों को डॉक्टरों के देर से आने और सफाई की कमी जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा. उलीडीह के कामेश्वर प्रसाद अपने पिता को लेकर नए ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे, लेकिन उन्हें वहां पहुंचने पर निराशा हुई. उन्होंने बताया कि अखबार में अस्पताल के उद्घाटन की खबर पढ़कर वे यहां आए थे, लेकिन यहां की व्यवस्था देखकर उन्हें लगा कि पुराना एमजीएम अस्पताल ज्यादा बेहतर था, क्योंकि वहां जांच सुविधाएं आसानी से उपलब्ध थीं. हालांकि नए अस्पताल का ढांचा भव्य है, लेकिन व्यवस्थाओं की कमी इसे कमजोर बना रही है.

डॉक्टरों की देरी से आने पर मरीजों ने किया हंगामा

नए अस्पताल में ओपीडी का समय सुबह 9 बजे से दोपहर 3 बजे तक निर्धारित है, लेकिन डॉक्टर समय पर नहीं पहुंचे. मेडिसिन ओपीडी के डॉक्टर 10:30 बजे के बाद पहुंचे, जिससे मरीजों को करीब 1.5 घंटे इंतजार करना पड़ा. इस देरी से परेशान होकर मरीजों ने हंगामा कर दिया. प्रिंसिपल डॉ. दिवाकर हांसदा को इस बारे में सूचित किया गया, और उन्होंने तुरंत डॉक्टरों को ड्यूटी पर भेजने का निर्देश दिया.

इमरजेंसी सेवाओं की अनुपस्थिति

नए अस्पताल में फिलहाल आठ विभागों की ओपीडी सेवा शुरू हो चुकी है, लेकिन यहां इमरजेंसी सेवाओं की कोई व्यवस्था नहीं है. अगर ओपीडी आवर में कोई इमरजेंसी मरीज आता है, तो अस्पताल में वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई है, जिससे डॉक्टर और मरीज दोनों ही संकट में पड़ सकते हैं. इसके अलावा, ओपीडी में इस्तेमाल होने वाले संसाधन और उपकरण भी अभी तक उपलब्ध नहीं कराए गए हैं. वर्तमान में, नए अस्पताल के लिए कुर्सी-टेबल जैसी आवश्यक वस्तुएं कॉलेज की लाइब्रेरी से मंगाई गई हैं, जो अस्पताल की तैयारी की कमी को दर्शाती हैं. डॉक्टरों ने भी यह स्वीकार किया है कि बिना संसाधनों के काम करना मुश्किल हो सकता है, और इससे मरीजों को भी दिक्कतें हो सकती हैं.

सफाई कर्मियों की नियुक्ति नहीं

सबसे बड़ी समस्या सफाई व्यवस्था की है. नए अस्पताल में सफाई कर्मियों की नियुक्ति अभी तक नहीं हो पाई है. अस्पताल के प्रिंसिपल डॉ. दिवाकर हांसदा ने वर्तमान एजेंसी से 15 सफाई कर्मियों की नियुक्ति के लिए स्वीकृति मांगी है, लेकिन अभी तक स्वीकृति नहीं मिली है. वैकल्पिक व्यवस्था के तहत साकची एमजीएम अस्पताल के सफाई कर्मियों को यहां भेजने का निर्देश दिया गया है. मरीजों और उनके परिजनों को भी सफाई की कमी से दिक्कत हो रही है. उद्घाटन के दौरान फेंका गया कचरा अब भी अस्पताल परिसर में पड़ा हुआ है, और शौचालयों की हालत बेहद खराब है.

प्रबंधन में भी कमी

सरकार ने मौखिक रूप से एमजीएम के उपाधीक्षक डॉ. जुझार माझी को नए अस्पताल के ओपीडी संचालन की जिम्मेदारी सौंपी है, लेकिन अभी तक उनके लिए कोई ऑफिस आवंटित नहीं किया गया है. डॉ. माझी कॉलेज के प्रिंसिपल के माध्यम से अपने काम का संचालन कर रहे हैं, और उन्होंने प्रिंसिपल से एक ऑफिस उपलब्ध कराने का आग्रह किया है ताकि वे बेहतर तरीके से काम कर सकें.

मरीजों के लिए तीन प्रकार की सुविधाएं

नए ओपीडी में मरीजों के लिए तीन प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं. मरीज सीधे रजिस्ट्रेशन काउंटर पर जाकर पर्ची ले सकते हैं. यदि भीड़ हो, तो टोकन मशीन के जरिए भी पर्ची ली जा सकती है. इसके अलावा, आधार कार्ड के माध्यम से ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन की सुविधा भी दी गई है. हालांकि पहले दिन सभी मरीजों ने रजिस्ट्रेशन काउंटर से ही पर्ची ली. ओपीडी के बाहर लगा इलेक्ट्रिकल टोकन सिस्टम अभी चालू नहीं हुआ है, जिससे मरीजों को थोड़ा असुविधा हुई. इन तमाम खामियों के बावजूद, नए अस्पताल में इलाज की उम्मीद से मरीज पहुंच रहे हैं, लेकिन जब तक संसाधनों और व्यवस्थाओं में सुधार नहीं होगा, तब तक यह अस्पताल अपनी क्षमता के अनुरूप सेवा देने में असमर्थ रहेगा.

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