झारखंड के कई जिलों में भूमिगत जल स्तर नीचे चला गया है। रांची, धनबाद और रामगढ़ जिले इस संकट से सर्वाधिक झूझते नजर आ रहे हैं। कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने विधानसभा में जमीन के भीतर गिरते जल स्तर पर चिंता जाहिर करते हुए सवाल उठाया कि कई जिलों में अलर्ट है, केंद्रीय रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर वर्तमान स्थिति से थोड़ा सा भी जल और निकाला गया तो संकट और बड़ा हो जाएगा। सरकार इस जल संकट से निपटने के लिए क्या प्रयास कर रही है।
जल संसाधन मंत्री ने क्या जवाब दिया
राज्य के जल संसाधन मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने सवाल का जवाब देते हुए कहा कि, हम इसका पूरा ध्यान रख रहे हैं कि भूजल का अब और दोहन ना हो। हमने नीलांबर पितांबर जल समृद्धि योजना लागू की है। नगर विकास विभाग की ओर से भी कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। भूमिगत जल पर रोक हो सके इसको लेकर हमारी सरकार चिंतित है। जब हमारा खुद का बोर्ड बन जायेगा तब हम और कड़े कदम उठाएगें। हाल में ही इसको लेकर ड्राफ्ट तैयार किया गया है हमारा ग्राउंड वाटर बोर्ड काम करेगा। देखा जाए तो 33 राज्यों में 14 राज्यों में ही उनका भूजल बोर्ड काम कर रहा है। और हम भी इसपर तेजी से काम कर रहे हैं।
यह स्थिति शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का परिणाम
झारखंड में तेजी से हुए शहरीकरण और औद्योगिकीकरण का सीधा असर भूजल के स्तर पर देखने को मिला है। सेंट्रल ग्राउंड वाटर बोर्ड की रिपोर्ट के आंकड़े हैरान करने वाले हैं। इस रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2020 की तुलना में भूजल की निकासी में 2.22 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2020 में जहां भूजल की निकासी 29.13 प्रतिशत थी, वहीं 2022 में यह बढ़ कर 31.35 प्रतिशत पर पहुंच गई है।
राज्य स्थिति हद से खराब तो कहीं चिंताजनक
बोर्ड ने झारखंड को 263 अलग-अलग यूनिट में बांट कर भूजल का आकलन किया है। राज्य सरकार के पास अभी अपना कोई ग्राउंड वाटर बोर्ड नहीं है और ना ही सरकार के पास इस कार्य को कराने के लिए ऐसी कोई एजेंसी है जिससे वह जांच करा सके। राज्य की पांच यूनिट बेरमो, बलियापुर, गोलमुरी (जुगसलाई), जमशेदपुर शहरी व चितरपुर में सबसे अधिक भूजल का दोहन हो रहा है। वहीं छह यूनिट तोपचांची, धनबाद शहरी, जयनगर, रामगढ़, सिल्ली व रांची (शहरी) में भी भूजल की हालात चिंताजनक है।
धनबाद और कोडरमा में सर्वाधिक दोहन
राज्य में धनबाद व कोडरमा भूजल के दोहन के मामले में सबसे आगे हैं। धनबाद में 75 प्रतिशत भूजल का दोहन हो रहा है। वहीं कोडरमा में यह आंकड़ा 66.10 प्रतिशत है। यदि राज्य में सबसे बेहतर स्थिति देखी जाए तो वह पश्चिमी सिंहभूम की है जहां सिर्फ 9.93 प्रतिशत भूजल का दोहन हो रहा है। राज्य में इस समय 1.78 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीक्यूएम) भूमिगत जल का दोहन हो रहा है।