रांची में आउटर रिंग रोड का निर्माण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किया जा रहा है। जो की लगभग 195 किलोमीटर तक लंबा होगा। वहीं इस पर करीबन 7000 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। इस संबंध में केंद्र सरकार से सैद्धांतिक सहमति भी प्राप्त कर ली गयी है। इसका पूरा खर्च केंद्र सरकार के तरफ से दिया जाएगा। वहीं इसे तीन से चार साल में पूरा करने की बात कही गयी है। साथ ही इस आउटर रिंग रोड के लिए डीपीआर बनाने को लेकर कंसल्टेंट चयन की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
पांच सितंबर को निकलेगा टेंडर..
बता दें कि पांच सितंबर को टेंडर बीड खोलने का समय निर्धारित किया गया है। वहीं इस 195 किलोमीटर के रांची आउटर रिंग रोड में कुल छह लेन का बनाया जाएगा। साथ ही सड़क के दोनों तरफ 7-7 मीटर का सर्विस लेन बनाई जाएगी। आपको बता दें की झारखण्ड में पहली बार किसी सड़क परियोजना के दोनों साइड सर्विस लेन का निर्माण किया जाएगा, जो खास तौर पर छोटी गाड़ियों के लिए होगा। हालांकि फिलहाल रांची में 83 किलोमीटर का इनर रिंग रोड बनाया गया है। जिससे 8 से 9 किलोमीटर दूर हटकर आउटर रिंग रोड बनाने का प्रस्ताव जारी किया गया है। वहीं कंसल्टेंट द्वारा एलाइन्मेंट तय और सर्वे के बाद ही इसकी वास्तविक स्थिति का सही रूप से सामने आएगी. जिसके अनुसार डीपीआर तय किया जाएगा। साथ ही केंद्र सरकार इस परियोजना की मॉनिटरिंग करेगी। वहीं राज्य सरकार का एनएच विंग इसका निर्माण कार्य करेगा। मिली जानकारी के अनुसार निर्माण कार्य को कई फेज में बंटा जाएगा।
जुड़ेगे तीन नेशनल हाईवे..
वहीं रांची में बनने वाला आउटर रिंग रोड राज्य के अंदर से गुजरने वाले तीन नेशनल हाईवे को जोड़ने का काम करेगा। जिसमें ब्रांबे (एनएच-75), उरकिल (एनएच-20) और नगड़ी के कुरगी (एनएच-20) और एनएच-43 , एनएच-33 के रूट को जोड़कर रिंग रोड का निर्माण किया जाएगा।
इनर रिंग रोड से 10 किमी दूर..
आउटर रिंग रोड एनएच-33 पर ओरमांझी प्रखंड कार्यालय के पास से होते हुए रांची-कुड़ू मार्ग पर ब्रांबे में जाकर मिलाया जा सकता है। वहीं एनएच-23 रांची-गुमला रोड से इनर रिंग रोड से 8-10 किमी आगे जाकर आउटर रिंग रोड का प्रस्ताव जारी किया गया है। साथ ही यह तुपुदाना से आगे खूंटी से थोड़ा पहले ही निकल सकता है। बता दें कि 30 वर्षों के परिवहन ओवरलोड को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण किया जा रहा है।