संताल परगना में साल 1922 से प्रारंभ गेंजर सेटलमेंट का भूमि सर्वे ही आज भी इस इलाके में प्रभावी है। जिसके बाद 1932 में इसका गजट प्रकाशित किया गया था। इस दौरान कुछ इलाकों में सर्वे का काम साल 1936 तक चला। हालांकि उस वक्त भी दुमका और देवघर के शहरी इलाकों का सर्वे नहीं हो सका था। जहां देवघर का झौसागढ़ी, श्यामगंज, पेड़ा गली समेत कई इलाके है जो सर्वे से वंचित रह गए। वहीं दुमका का शहरी क्षेत्र भी सर्वे नही हो सका। हालांकि दुमका जिले के 10 अंचलों के कुल 2936 गांव 1932 का सर्वे किया गया।
सर्वे में ग्राम प्रधानों की थी अहम भूमिका..
बता दें कि गेंजर सर्वे सेटलमेंट में तब ग्राम प्रधानों की भूमिका अहम थी। उन लोगों पर ही गांवों में राजस्व उगाही की जिम्मेवारी हुआ करती थी। वहीं सर्वे के दौरान दो तरह के दस्तावेज प्रारूप तैयार किए जाते थे। पहला ए-मिसिल जिसमें ग्राम प्रधानों की भूमिका और उनकी जिम्मेवारी तय की गयी थी और दूसरा बी-मिसिल जिसमें वैसे दावे या आपत्तियों को शामिल किया जाता था जिसका निपटारा करना है या मामला विवादित था। इसी क्रम में भूमि हस्तांतरण, मिस्टेक लिस्ट सहित अन्य आपत्तियों को भी समाहित किया गया। सर्वे के दौरान तय प्रारूपों में अंचल सर्किल, जमाबंदी नंबर, मौजावार एबस्ट्रेक्ट, मौजा की भी चर्चा की गई है।
दुमका के 10 अंचलों में समाहित है 69 सरदारी सर्किल..
दरअसल गेंजर सर्वे सेटलमेंट के रिकार्ड के अनुसार दुमका जिले के 10 अंचलों में 69 सरदारी सर्किल हैं। जिसमें दुमका सदर में नौ ,जामा में पांच, गोपीकांदर में चार, मसलिया में सात, जरमुंडी में 10, रामगढ़ में आठ, रानीश्वर में छह, शिकारीपाड़ा में आठ, सरैयाहाट में सात और काठीकुंड में पांच सरदारी सर्किल हैं।