राजधानी के सड़को पर मौजूद जर्जर बिजली के खंभे, कभी भी हो सकता है हादसा..

रांची : राजधानी की बिजली व्यवस्था मिट्टी की दीवार, फलदार पेड़, केबल के खंभे और बांस के सहारे चल रहा है। शहर में कई जगहों पर बिजली के खंभों की हालत खराब है। जर्जर बिजली के पोल का अब पेड़, दीवार, केबल का खंभा ही सहारा बना हुआ है। शहर में कई क्षेत्रों में 40 से 50 साल पुराने बिजली के खंभे में जंग लगने से निचला हिस्सा सड़ गया है। जिसे बदलने में विभाग के पसीने छूट रहे है। विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में बिजली के खंभे तक नहीं है। शहर में कई नए मोहल्ले में बिजली का खंभा महीनो से नहीं लग पा रहा है। यह बिजली के खंभे कभी भी दुर्घटना को न्योता दे सकते है। आए दुर्घटनाएं भी हो रही है। बिजली विभाग के अनुसार जल्द सड़े हुए बिजली के खंभे बदले जाएंगे। साथ ही जिस क्षेत्र तारों का जाल है, वैसे क्षेत्र में अंडरग्राउंड केबलिंग का काम किया जाएगा।

घट चुकी है हाल में घटना..
सात जनवरी को अपर बाजार महावीर चौक में बिजली का पोल सड़कर गिरने से बड़ी दुर्घटना होने रह गई। इस दौरान घंटों क्षेत्र में बिजली गुल रही। विभाग द्वारा बिजली के तार बदलने और खंभा गाड़ने में 8 घंटे से अधिक समय लग गया। इसके बाद दोबारा बिजली बहाल हो पाई।

शहर के इन क्षेत्रों में जर्जर बिजली के खंभे है मौजूद..
राजधानी के चुटिया, अपर बाजार, कर्बला चौक, पुरानी रांची, हिंदपीढ़ी, डोरंडा, बरियातू आदि क्षेत्र बड़ी संख्या में रोड के किनारे सड़ी हुई बिजली के खंभे मौजूद है। इसे बदलने में विभाग के पसीने छूट रहे है। विभाग के पास पर्याप्त मात्रा में बिजली के खंभे नहीं होने के कारण इन खंभों को अबतक नहीं बदला जा सका है।

ग्रामीण क्षेत्र में अधिक समस्या..
रांची के ग्रामीण क्षेत्र में 50 साल से भी अधिक पुराने बिजली के खंभे मौजूद है। बरसात के मौसम में बिजली के खंभे गिरने की घटना सामने आती है। विभाग शहरी क्षेत्र में खंभा नही बदल पा रहा है, ऐसे में ग्रामीण क्षेत्रों में यह समस्या कबतक दूर होगी, यह भागवान भरोसे है।

अंडरग्रांउड केबलिंग का अधूरा..
राजधानी में 2019 में अंडरग्राउंड केबलिंग का काम शुरू हुआ था, जो अबतक अधूरा है। विभाग के अनुसार पैसे के अभाव में यह योजना अधर में लटकी हुई है। पैसा आने के बाद ही काम पूरा हो सकेगा। विभाग के अनुसार शहर में 11 केवी अंडरग्राउंड का काम मात्र 40 प्रतिशत ही हो सका है, जबकि 33 केवी अंडरग्राउंड केबलिंग का काम लगभग 70 प्रतिशत हो गया है। विभाग के अनुसार पुर्नोत्थान वितरण क्षेत्र सुधार योजना (आरडीएसएस ) के तहत जल्द बचे हुए काम पूरे होंगे।

केस स्टडी -1
चुटिया के प्रगति पथ मकचुंद टोली चौक के पास बिजली का खंभा दीवार के भरोसे ठहरा हुआ है। दीवार गिरने पर खंभा भी गिर जाएगा। इससे कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है।

केस स्टडी – 2
कोकर के मरियम कालोनी में सिमेंट की दीवार से सटा जर्जर हालाम में बिजली का खंभा मौजूद है। शहर में इस प्रकार के कई चौक-चौराहों पर बिजली के खंभे जर्जर हालत में मौजूद है। जिसे बदलने में विभाग के पसीने छूट रहे है। यही हाल चुटिया के अमर चौक के अंदर प्रगति पथ जाने वाली सड़क पर केबल के खंभे से बिजली के खंभे को बांधकर रखा गया है।

केस स्टडी – 3
कोकर के शांति नगर में बिजली का खंभा झूल गया है। यह बिजली का खंभा कभी भी गिर सकता है। जिससे कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। विभाग का नजर इस ओर नहीं है।

केस स्टडी – 4
लोवर चुटिया में बीच सड़क पर बिजली का खंभ पेड़ के सहारे वर्षो से खड़ा है। बिजली का खंभा हटाने को लेकर कई बार विभाग को लिखित लेटर लिखा गया है। पर इसके बाद भी विभाग की ओर से अबतक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है।

क्या कहते अधिकारी?
बिजली विभाग से संबंधित सभी परेशानियों को आरडीएसएस स्कीम के तहत दूर कर लिया जाएगा। सड़े, खराब बिजली के खंभो का जल्द सर्वे होगा। इसके बाद सभी को हटाया जाएगा। साथ ही अंउडग्राउंड केबलिंग उन क्षेत्रों में किया जाएगा।
— पीके श्रीवास्तव, महाप्रबंधक, रांची जोन, झारखंड बिजली वितरण निगम लिमिटेड

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