रांची : कोरोना के कारण कई लोगों को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। ऐसे में देश में बेरोजगारी बढ़ गई है। बता दे कि कोरोना से पहले झारखंड के नियोजनालयो में 75,170 लोगों ने रोजगार के लिए आवेदन किए थे। ये आंकड़ा 2019 की है। लेकिन कोरोना के बाद जनवरी 2020 से जून 2021 तक आवेदन करने वालों की संख्या में काफी बढ़ोतरी हो गई है। इन 18 महीनों में 5,55,030 लोगों ने राज्य के नियोजनालयों में नौकरी के लिए रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें पुरुषों की संख्या 3,69,505 हैं तो महिलाओं को भी संख्या 1,85,525 हो गई है। मतलब साफ है कि 2019 के मुकाबले जनवरी 2020 से जून 2021 तक झारखंड के नियोजनालयो में नौकरी के लिए आवेदनों की संख्या 638% बढ़ गई है। 2021 में जून तक 18,707 रजिस्ट्रेशन करा चुके है। इनमें सबसे ज्यादा 32.33% स्नातक और 31.33% 12वीं के है।
अवर निदेशक नियोजनालय धनबाद के सहायक निदेशक एके सिंह का कहना है कि कोरोना के कारण रोजगार कैंप नहीं लगे और नौकरी देने के लिए कोई कंपनी भी नहीं आई। जिसके कारण रोजगार की डिमांड बढ़ गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमिक के अनुसार मई की तुलना में राज्य में जून में 3.2% बेरोजगारी दर कम हो गई । जबकि जून 20 से जून 21 तक में यह 8.1% कम हुई। यानी लोगों को नौकरियां नहीं मिली।
अर्थशास्त्री डॉ रमेश शरण का कहना है कि बेरोजगारी मापने का सबसे बड़ा इंडेक्स नियोजनालय है। इसे खुली बेरोजगारी भी कहते है क्यूंकि उस व्यक्ति में आवश्यक योग्यता है पर काम नहीं मिल रहा। सीएमआई के आंकड़े सैंपल के आधार पर होते हैं। इसके अपने मैथड जय पर नियोजनालयों में बढ़ी भीड़ क्लियर कट बताती है कि राज्य में बेरोजगारी बढ़ी है।
लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में हाल ही झारखंड,बिहार, यूपी के 4763 लोगों से रोजगार के संबंध में राय शुमारी की। इसमें पता चला कि पहले लॉकडाउन के दौरान नौकरी गवाने वाले 40% लोगों के पास 10 महीने बाद भी रोजगार नहीं है। जॉन रजिस्ट्रेशन के दो बड़े कारण है। पहला कि कंपनियों में छंटनी के चलते बढ़ी बेरोजगारी, मार्केट में जॉब नहीं होने के कारण युवाओं को सरकार से आस हैं।दूसरी कारण ये कि झारखंड सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा की है। इसलिए रजिस्ट्रेशन करवाने वालों की संख्या बढ़ गई है।