झारखंड में मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस (CM School of Excellence) में दाखिले के इच्छुक विद्यार्थियों के लिए एक अच्छी खबर आई है. सरकार ने आवेदन की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 20 फरवरी 2025 कर दिया है. पहले यह तिथि 10 फरवरी 2025 तय की गई थी, लेकिन अब अभ्यर्थियों को 10 दिन का अतिरिक्त समय दिया गया है. राज्य सरकार द्वारा संचालित इन उत्कृष्ट विद्यालयों में 16,000 से अधिक सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. अगर आपने अभी तक आवेदन नहीं किया है, तो 20 फरवरी से पहले आवेदन कर सकते हैं, क्योंकि इसके बाद तारीख फिर से नहीं बढ़ाई जाएगी.
क्या है CM School of Excellence योजना?
CM School of Excellence, झारखंड सरकार की एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य के सरकारी स्कूलों को आधुनिक सुविधाओं से लैस करना और उन्हें निजी स्कूलों के समकक्ष बनाना है. वर्तमान में झारखंड में 80 मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस संचालित हो रहे हैं. सरकार की योजना है कि जल्द ही इस संख्या को बढ़ाकर 4,000 से अधिक किया जाए, जिससे राज्यभर के छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सके.
CM School of Excellence की खास सुविधाएं
झारखंड के मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस को पूरी तरह CBSE पैटर्न पर संचालित किया जाता है. इन स्कूलों में छात्रों को आधुनिक शिक्षा देने के लिए नई तकनीकों और उन्नत संसाधनों का उपयोग किया जा रहा है. इन विद्यालयों में निम्नलिखित सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं:
- स्मार्ट क्लासरूम – डिजिटल बोर्ड, प्रोजेक्टर और ई-लर्निंग सामग्री से पढ़ाई होती है.
- लैंग्वेज लैब – छात्रों को अंग्रेजी और अन्य भाषाओं में दक्षता दिलाने के लिए विशेष लैब बनाई गई है.
- कंप्यूटर लैब – हर स्कूल में अत्याधुनिक कंप्यूटर लैब है, जिससे विद्यार्थियों को डिजिटल शिक्षा दी जा सके.
- साइंस लैब – विज्ञान के प्रयोगों और प्रैक्टिकल लर्निंग के लिए अच्छी तरह से सुसज्जित लैब.
- मैथ्स लैब – गणित को रोचक और समझने में आसान बनाने के लिए स्पेशल लैब उपलब्ध.
- पुस्तकालय – छात्रों के लिए विशाल पुस्तकालय की व्यवस्था, जहां वे अतिरिक्त अध्ययन कर सकते हैं.
- खेलकूद की सुविधाएं – छात्रों के शारीरिक विकास के लिए हर स्कूल में खेल के मैदान, खेल उपकरण और प्रशिक्षक उपलब्ध कराए गए हैं.
इन स्कूलों का उद्देश्य बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के साथ-साथ उनके संपूर्ण विकास पर ध्यान देना है. इसके लिए न सिर्फ विषयों की पढ़ाई पर जोर दिया जा रहा है, बल्कि खेलकूद, सह-शैक्षणिक गतिविधियां और व्यक्तित्व विकास के लिए भी विशेष कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं.
राज्यभर में कहां-कहां संचालित हैं CM School of Excellence?
झारखंड में मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस को हर जिले में स्थापित करने की योजना बनाई गई है. वर्तमान में, राज्य के कई जिलों में इन स्कूलों का संचालन हो रहा है. राजधानी रांची में सबसे अधिक 5 स्कूल हैं, जबकि अन्य जिलों में भी इनकी संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है.
जिलावार मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की संख्या:
- रांची – 5 स्कूल
- दुमका, गिरिडीह, हजारीबाग, लातेहार, साहिबगंज – 4 स्कूल
- बोकारो, चतरा, देवघर, धनबाद, गढ़वा, गोड्डा, गुमला, जामताड़ा, खूंटी, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, पाकुड़, पलामू, पूर्वी सिंहभूम, रामगढ़, सरायकेला-खरसावां, सिमडेगा – 3 स्कूल
इन स्कूलों में हिंदी और अंग्रेजी दोनों माध्यमों में पढ़ाई कराई जाती है, लेकिन अंग्रेजी संचार (स्पोकन इंग्लिश) पर विशेष ध्यान दिया जाता है. सरकार का उद्देश्य है कि इन स्कूलों के छात्र भी अंग्रेजी भाषा में उतने ही दक्ष बनें, जितने कि निजी स्कूलों के छात्र होते हैं.
सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में दाखिले के लिए पात्रता और आवेदन प्रक्रिया
अगर आप अपने बच्चे का दाखिला मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में कराना चाहते हैं, तो इसके लिए ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया अपनाई जा सकती है.
पात्रता (Eligibility):
- राज्य का निवासी होना अनिवार्य.
- सरकारी मान्यता प्राप्त किसी भी स्कूल से न्यूनतम निर्धारित कक्षा उत्तीर्ण की हो.
- सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस द्वारा आयोजित प्रवेश परीक्षा में शामिल होना आवश्यक.
आवेदन प्रक्रिया:
- ऑनलाइन फॉर्म भरें: आवेदन करने के लिए आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और फॉर्म भरें.
- दस्तावेज अपलोड करें: जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, पूर्व स्कूल का रिपोर्ट कार्ड आदि अपलोड करें.
- फीस का भुगतान करें: निर्धारित शुल्क का ऑनलाइन भुगतान करें (यदि लागू हो).
- प्रवेश परीक्षा दें: चयनित उम्मीदवारों को एक प्रवेश परीक्षा देनी होगी, जिसके आधार पर मेरिट लिस्ट जारी की जाएगी.
- सरकार की योजना: 4,000 से अधिक स्कूल खोलने का लक्ष्य
राज्य सरकार की योजना है कि आने वाले वर्षों में मुख्यमंत्री स्कूल ऑफ एक्सीलेंस की संख्या को 4,000 से अधिक किया जाए. सरकार का मानना है कि शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए सरकारी स्कूलों में सुविधाओं और गुणवत्ता दोनों को बढ़ाने की जरूरत है. इस योजना के तहत स्कूलों को पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल पर विकसित किया जाएगा, जिससे सरकारी स्कूलों को भी निजी स्कूलों जैसी आधुनिक सुविधाएं मिलेंगी.