रांची में तेलुगु समुदाय ने अपने नववर्ष उगादी का पर्व बड़े हर्षोल्लास और भव्यता के साथ मनाया. यह आयोजन तेलुगू कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन के तत्वावधान में चुटिया स्थित प्रगति गार्डेनिया कम्युनिटी हॉल में संपन्न हुआ. इस मौके पर रांची में रहने वाले आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लगभग 100 तेलुगु भाषी परिवारों ने बढ़-चढ़कर भाग लिया और इस पर्व को पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ मनाया.
उगादी पर्व की विशेषता
उगादी तेलुगु नववर्ष का प्रतीक है और इसे बहुत ही शुभ माना जाता है. इस दिन विशेष रूप से पंचांग श्रवणम् (नववर्ष का पंचांग पढ़ने की परंपरा) का आयोजन किया जाता है, जिसमें ज्योतिषीय गणनाओं के आधार पर आने वाले वर्ष की भविष्यवाणियां की जाती हैं. साथ ही, इस अवसर पर विशेष उगादी पचड़ी बनाई जाती है, जिसमें छह विभिन्न स्वाद होते हैं—मीठा, खट्टा, तीखा, कड़वा, नमकीन और कसैला. यह जीवन के विभिन्न पहलुओं को दर्शाता है और हमें हर परिस्थिति को स्वीकार करने की सीख देता है.
सांस्कृतिक कार्यक्रम: पारंपरिक संगीत और नृत्य की प्रस्तुति
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक दीप प्रज्वलन और गणपति वंदना से हुई. इसके बाद तेलुगु भाषा और संस्कृति को समर्पित विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां हुईं. बच्चों और युवाओं ने तेलुगु लोक नृत्य और शास्त्रीय भरतनाट्यम प्रस्तुत किए, जिससे समां बंध गया. महिलाओं ने भी पारंपरिक तेलुगु गीतों पर नृत्य और भक्ति संगीत प्रस्तुत किए. संगीत और नृत्य की प्रस्तुति ने पूरे माहौल को मंत्रमुग्ध कर दिया. इस दौरान बच्चों ने रंगारंग पारंपरिक वेशभूषा में विभिन्न सांस्कृतिक और पौराणिक नाटकों का मंचन किया, जिसमें तेलुगु महाकाव्यों से प्रेरित कहानियां प्रस्तुत की गईं. यह प्रस्तुति दर्शकों को बहुत पसंद आई और उन्हें अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जोड़ने का कार्य किया.
दक्षिण भारतीय व्यंजनों का स्वाद
उगादी उत्सव में भोजन का विशेष महत्व होता है. इस अवसर पर महिलाओं ने विभिन्न प्रकार के दक्षिण भारतीय पारंपरिक व्यंजन तैयार किए, जिसमें उगादी पचड़ी, डोसा, इडली, सांबर, पुलिहोरा (इमली चावल), वड़ा, पायसम (मीठी खीर) आदि शामिल थे. उपस्थित सभी लोगों ने इन स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद उठाया और दक्षिण भारतीय खानपान की समृद्धि का अनुभव किया.
समुदाय के वरिष्ठतम सदस्य का सम्मान
इस शुभ अवसर पर रांची में विगत 50 वर्षों से निवास कर रहे वरिष्ठतम तेलुगु भाषी श्री जी. जगन्नाथ मूर्ति को सम्मानित किया गया. आयोजन समिति ने उन्हें सम्मान पत्र और शॉल भेंट कर उनके योगदान की सराहना की. श्री मूर्ति ने अपने संबोधन में कहा कि रांची में रहकर भी तेलुगु संस्कृति को जीवंत बनाए रखने का यह प्रयास अत्यंत सराहनीय है और यह नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं से जोड़ने में मदद करेगा.
पंचांग वाचन और नववर्ष की भविष्यवाणी
इस अवसर पर सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ झारखंड के प्रोफेसर डॉ. नाग पवन ने तेलुगु नववर्ष का पंचांग वाचन किया. उन्होंने आने वाले वर्ष की संभावनाओं, मौसम, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और ग्रह-नक्षत्रों की चाल के बारे में विस्तृत जानकारी दी. उन्होंने बताया कि इस वर्ष कृषि और व्यापार में उन्नति के योग हैं, वहीं समाज में समृद्धि और खुशहाली बनी रहेगी.
आयोजन समिति की भूमिका
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में तेलुगू कम्युनिटी वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों और सदस्यों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. कार्यक्रम की संपूर्ण व्यवस्था और समन्वय की जिम्मेदारी प्रमुख रूप से श्री वी. तारकेश्वर, श्री रमेश सुशुराला, आदित्य कुमार, डॉ. किरण जालेम, डॉ. वेंकट बोरला, श्रीदेवी और सुसरला गौरी ने निभाई. उनकी मेहनत और लगन के कारण यह आयोजन अत्यंत सफल और यादगार बन गया.
समाप्ति और भविष्य की योजनाएं
कार्यक्रम के अंत में सभी सदस्यों ने एक-दूसरे को तेलुगु नववर्ष की शुभकामनाएं दीं और भविष्य में भी इस प्रकार के सांस्कृतिक आयोजनों को बढ़ावा देने का संकल्प लिया. उपस्थित लोगों ने इस तरह के आयोजनों को और भी व्यापक स्तर पर करने का सुझाव दिया, ताकि नवीन पीढ़ी अपनी संस्कृति से जुड़े रह सके और तेलुगु भाषा व परंपराओं का संरक्षण हो सके.