शिक्षकों की देर से उपस्थिति पर लगेगा सीएल, बच्चों की उपस्थिति और प्रदर्शन पर भी सख्ती

रांची: झारखंड सरकार ने स्कूली शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने के लिए एक अहम निर्णय लिया है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा जारी नई गाइडलाइन के अनुसार, यदि शिक्षक लगातार तीन दिन तक ई-विद्यावाहिनी पोर्टल पर देर से उपस्थिति दर्ज करते हैं, तो इसे एक दिन के आकस्मिक अवकाश (सीएल) के रूप में गिना जाएगा।

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यह व्यवस्था राज्य के 80 उत्कृष्ट विद्यालयों (सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस) और प्रखंड स्तर के 325 आदर्श विद्यालयों में तत्काल प्रभाव से लागू की गई है। विभाग के सचिव उमाशंकर सिंह ने इन स्कूलों के बेहतर संचालन और अनुशासन के लिए यह दिशा-निर्देश जारी किए हैं।

बच्चों की उपस्थिति अनिवार्य

सिर्फ शिक्षकों की नहीं, बल्कि छात्रों की उपस्थिति पर भी सख्ती बरती जाएगी। नए निर्देशों के तहत इन विद्यालयों में विद्यार्थियों की कम से कम 75% उपस्थिति सुनिश्चित करना अनिवार्य कर दिया गया है। जिन छात्रों की उपस्थिति इससे कम होगी, उनके अभिभावकों को विद्यालय द्वारा सूचना भेजी जाएगी।

परीक्षा प्रणाली में बदलाव

कक्षा 8वीं से 12वीं तक के लिए समेटिव असेसमेंट-1 (SA-1) परीक्षा सितंबर में और समेटिव असेसमेंट-2 (SA-2) परीक्षा मार्च में झारखंड एकेडमिक काउंसिल (JAC) द्वारा आयोजित की जाएगी। कक्षा 1 से 7 तक की परीक्षा संबंधित स्कूलों में जेसीईआरटी के माध्यम से कराई जाएगी, जबकि मूल्यांकन अन्य विद्यालयों के शिक्षकों द्वारा किया जाएगा। इसके अलावा, कक्षा 10 और 12 के लिए प्री-बोर्ड परीक्षाएं दिसंबर (प्री-बोर्ड-1) और जनवरी (प्री-बोर्ड-2) में होंगी।

रिपोर्ट कार्ड ऑनलाइन जारी

बच्चों के शैक्षणिक प्रदर्शन को पारदर्शी बनाने के लिए प्रत्येक चार महीने पर छात्रों का रिपोर्ट कार्ड ऑनलाइन जारी किया जाएगा, जिसे छात्र और उनके अभिभावक देख सकेंगे।

खराब प्रदर्शन पर होगी कार्रवाई

नए निर्देशों के अनुसार, यदि किसी विद्यालय में 20 प्रतिशत से अधिक छात्र किसी विषय में असफल होते हैं, तो संबंधित प्रधानाध्यापक और उस विषय के शिक्षक के विरुद्ध कार्रवाई की जाएगी। इससे शिक्षकों में उत्तरदायित्व की भावना बढ़ेगी और बच्चों की गुणवत्ता में सुधार होगा।

अतिरिक्त गतिविधियों को बढ़ावा

शिक्षा सचिव ने हर महीने के पहले और दूसरे शनिवार को क्विज, चित्रकला, वाद-विवाद जैसी गतिविधियां अनिवार्य रूप से आयोजित करने के निर्देश भी दिए हैं, ताकि छात्रों का सर्वांगीण विकास सुनिश्चित किया जा सके।

इस नई पहल से शिक्षा व्यवस्था में अनुशासन और पारदर्शिता बढ़ेगी, जिससे छात्रों की उपस्थिति और परिणामों में सुधार की उम्मीद की जा रही है।

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