केंद्रीय गृह मंत्रालय ने झारखंड को नक्सल मुक्त बनाने के लिए 31 मार्च 2026 की समय सीमा तय की है. गृह मंत्रालय ने इस संबंध में झारखंड पुलिस मुख्यालय को निर्देशित करते हुए पत्र भेजा है. इसमें कहा गया है कि राज्य को भाकपा माओवादी संगठन के सशस्त्र दस्तों से मुक्त कराने की दिशा में तेजी से काम किया जाए. यह एजेंडा 2024 में नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की बैठक में तय किया गया था. गृह मंत्रालय के पत्र के बाद झारखंड पुलिस मुख्यालय सक्रिय हो गया है. मुख्यालय ने नक्सल अभियान से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों को इस दिशा में ठोस कदम उठाने की जिम्मेदारी सौंपी है. हाल ही में खुफिया एजेंसियों से मिली रिपोर्ट के आधार पर नक्सली गतिविधियों पर नजर रखने के लिए रणनीति तैयार की जा रही है.
खुफिया रिपोर्ट में सामने आई जानकारी
खुफिया रिपोर्ट के मुताबिक, झारखंड में नक्सलियों की गतिविधियां पश्चिमी सिंहभूम और अन्य कुछ क्षेत्रों तक सीमित हो गई हैं. रिपोर्ट में नक्सलियों के ठिकानों और उनकी नेतृत्व संरचना का भी उल्लेख है. इसमें बताया गया है कि पोलित ब्यूरो के सदस्य मिसिर बेसरा 40-45 नक्सलियों के साथ पश्चिमी सिंहभूम के बाबूडेरा इलाके में सक्रिय हैं. उनके साथ सेंट्रल कमेटी के सदस्य अनल और असीम मंडल तथा बिहार-झारखंड स्पेशल एरिया कमेटी के सदस्य सुशांत भी मौजूद हैं. इसके अलावा, अजय महतो, अमित हांसदा और अपटन के नेतृत्व में एक अन्य नक्सली समूह पश्चिमी सिंहभूम के जंगली क्षेत्र रूटागुटू में सक्रिय है. वहीं, सेंट्रल कमेटी के नक्सली विवेक के नेतृत्व में कमांडर अनुज, रघुनाथ और चंचल समेत अन्य सदस्य बोकारो जिले के झुमरा इलाके में अपना ठिकाना बनाए हुए हैं.
राज्य में नक्सलवाद की मौजूदा स्थिति
झारखंड में नक्सलियों का प्रभाव अब केवल पांच जिलों – गिरिडीह, गुमला, लातेहार, लोहरदगा और पश्चिमी सिंहभूम तक सीमित रह गया है. इन जिलों में भी नक्सली कमजोर हो चुके हैं. केवल पश्चिमी सिंहभूम को देश के 12 सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों में रखा गया है. गिरिडीह, गुमला, लोहरदगा और लातेहार जिलों को डिस्ट्रिक्ट ऑफ कंसर्न की श्रेणी में रखा गया है. अन्य जिलों जैसे सरायकेला-खरसावां, चतरा, खूंटी, रांची, बोकारो और गढ़वा को नक्सल मुक्त घोषित किया गया है. इन जिलों में नक्सली गतिविधियों के दोबारा पनपने की संभावनाओं को खत्म करने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं.
उद्योग और विकास को प्राथमिकता
झारखंड पुलिस के अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि राज्य में नक्सलवाद की समाप्ति के बाद विकास और रोजगार को गति दी जाएगी. इससे न केवल युवाओं को बेहतर अवसर मिलेंगे, बल्कि नक्सलियों के पुनरुत्थान की संभावना भी समाप्त हो जाएगी.
गृह मंत्रालय की दिशा में सक्रिय झारखंड पुलिस
गृह मंत्रालय के निर्देश के बाद झारखंड पुलिस ने अपनी कार्रवाई तेज कर दी है. नक्सलियों के खिलाफ बड़े अभियान शुरू किए जा रहे हैं. इन अभियानों में केंद्रीय अर्धसैनिक बलों और झारखंड पुलिस की विशेष टीमों की मदद ली जा रही है. झारखंड पुलिस का दावा है कि नक्सलियों के ठिकानों को जल्द ही ध्वस्त कर दिया जाएगा और राज्य को तय समय सीमा के भीतर नक्सल मुक्त बना दिया जाएगा. इसके साथ ही, विकास योजनाओं को तेज गति से लागू करने की योजना भी बनाई जा रही है.