झारखंड सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए शराब से 2700 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति का लक्ष्य तय किया है. इस वित्तीय वर्ष के पहले पांच महीनों में, राज्य ने अब तक 1145 करोड़ रुपये का राजस्व एकत्र किया है, जबकि सितंबर महीने तक कुल 1149 करोड़ रुपये राजस्व प्राप्त करने का लक्ष्य रखा गया है. राज्य सरकार ने पिछले वित्तीय वर्ष 2023-24 में शराब से 2360 करोड़ रुपये के राजस्व का लक्ष्य रखा था, जिसे पूरी तरह से हासिल कर लिया गया था. इस वर्ष सरकार को अभी भी शेष सात महीनों में 1555 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करना होगा, ताकि निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया जा सके.
शराब से राजस्व का अनुमान और आवश्यक प्राप्ति
सरकार ने इस वित्तीय वर्ष के अंत तक शराब से 2700 करोड़ रुपये राजस्व जुटाने की योजना बनाई है. अब तक, जो 1145 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है, वह कुल लक्ष्य का लगभग 42% है. इसका मतलब है कि अगले सात महीनों में लगभग 1555 करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करना बाकी है. राज्य के उत्पाद विभाग ने सभी जिलों और शराब खुदरा दुकानों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं, ताकि इस राजस्व लक्ष्य को हासिल किया जा सके.
खुदरा दुकानों में नियमों का अनुपालन नहीं
हालांकि, उत्पाद विभाग ने शराब की कीमत को लेकर सख्त निर्देश दिए थे कि शराब खुदरा दुकानों पर प्रिंट रेट से अधिक दर पर शराब न बेची जाए. इसके बावजूद, राज्य में कई दुकानों पर प्रिंट रेट से अधिक कीमत वसूलने की शिकायतें सामने आई हैं. विभाग ने सभी दुकानों में शराब की कीमतों को स्पष्ट रूप से दर्शाने के लिए बोर्ड लगाने का निर्देश दिया था, परंतु कई दुकानों ने इस निर्देश का भी सही तरीके से पालन नहीं किया.
राजस्व लक्ष्य प्राप्ति के लिए दिशानिर्देश
राज्य के सभी जिलों को राजस्व प्राप्ति के संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं. विभागीय आंकड़ों के अनुसार, राज्य में हर महीने लगभग 400 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हो रही है. इस हिसाब से, शेष बचे सात महीनों में लगभग 2800 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हो सकती है, जिसमें से 1555 करोड़ रुपये का राजस्व सरकार को प्राप्त होना अपेक्षित है.
शराब की बिक्री और जमा राशि का मिलान
उत्पाद विभाग ने सभी जिलों के सहायक उत्पाद आयुक्तों को निर्देश दिया है कि वे 15 सितंबर तक सभी खुदरा शराब दुकानों में शराब की बिक्री और जमा की गई राशि का मिलान करें. यदि बिक्री और जमा राशि के बीच कोई अंतर पाया जाता है, तो शेष राशि को जल्द से जल्द जमा कराने का आदेश दिया गया है. यह कदम इस सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि सरकार के राजस्व लक्ष्य में कोई कमी न हो और किसी प्रकार की अनियमितता से बचा जा सके.
प्रथम तिमाही में शराब की बिक्री के आंकड़े
उत्पाद विभाग के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2024-25 की प्रथम तिमाही में अप्रैल से जून तक कुल 1183 करोड़ रुपये की शराब की बिक्री हुई थी. इन आंकड़ों से यह स्पष्ट होता है कि शराब से राज्य को काफी मात्रा में राजस्व प्राप्त हो रहा है, और अगर सही ढंग से नियमों का पालन किया गया, तो निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचना संभव है.
उत्पाद विभाग की सख्त निगरानी
उत्पाद विभाग ने इस वर्ष शराब की बिक्री पर सख्त निगरानी रखी हुई है. उन्होंने यह भी सुनिश्चित किया है कि जिन दुकानों पर प्रिंट रेट से अधिक दर वसूल की जा रही है, उन पर सख्त कार्रवाई की जाए. इसके अलावा, सभी दुकानों पर शराब की कीमतें स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाएं ताकि ग्राहकों को किसी भी प्रकार की धोखाधड़ी का सामना न करना पड़े. राज्य सरकार की यह नीति न केवल राजस्व में वृद्धि के लिए है, बल्कि शराब की बिक्री को नियंत्रित करने और राज्य में अनुशासन बनाए रखने का एक प्रयास भी है. ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि अगले कुछ महीनों में सरकार इस लक्ष्य को कितनी कुशलता से प्राप्त करती है और उत्पाद विभाग द्वारा लागू की गई नीतियों का क्या असर होता है.