झारखंड की राजधानी रांची के धुर्वा इलाके के रहने वाले सुजीत मुंडा भारतीय क्रिकेट टीम के हिस्सा बन गए हैं। वह इसबार ब्लाइंड टी-20 वर्ल्ड कप के हिस्सा होंगे। यह मैच 4 दिसंबर से शुरू होगा और 17 दिसंबर को समाप्त होगा। सुजीत मुंडा इस दौरान अपनी प्रतिभा से क्रिकेट प्रेमियों का दिल जीतते नजर आएंगे। सुजीत मुंडा के इस चयन से झारखंड के लोग काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं। मालूम हो कि सुजीत मुंडा आदिवासी समुदाय से संबंध रखते हैं। वह राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रह चुके हैं। रांची शहर के धुर्वा में ही उनका घर-परिवार है। वह पहले भी भारतीय क्रिकेट टीम के हिस्सा रह चुके हैं। खेल के मैदान में उनका पिछला प्रदर्शन बेहद शानदार रहा था। उन्होंने खेल प्रेमियों का दिल जीत लिया था।
वर्ष 2014 से सुजीत खेल रहे क्रिकेट मैच..
सुजीत मुंडा के अनुसार, उन्होंने वर्ष 2014 से क्रिकेट खेलना प्रारंभ किया था। अबतक वह कई मैच खेल चुके हैं। क्रिकेट का यह शानदार सफर अनवरत जारी है। यही वहज है कि वह एक आल राउंडर खिलाड़ी बन चुके हैं। वे खेल के मैदान में हर अंदाज में नजर आते रहते हैं। इस वर्ष वर्ल्ड कप खेलने को लेकर वह बेहद उत्साहित नजर आ रहे हैं। सुजीत मुंडा इस वर्ष 2022 में साउथ अफ्रीका के साथ मैच खेल चुके हैं। इससे पूर्व वह वर्ष 2020 में भारत-पाकिस्तान-बांग्लादेश के बीच मैच खेल चुके हैं। इतना ही नहीं वह दुबई में भारत-पाकिस्तान और दक्षिण अफ्रीका के साथ भी मैच खेल चुके हैं।
ऐसे भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हुए सुजीत..
सुजीत मुंडा के अनुसार, वह 10वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली चले गए। वहीं गोलू नामक एक दोस्त से मुलाकात हुई। गोलू भारतीय ब्लाइंड क्रिकेट टीम को लीड कर रहे थे। उन्होंने ही मुझे भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया। अंतत: सफलता हाथ लग गई। पहले उनका चयन झारखंड ब्लाइंड क्रिकेट टीम के लिए हुआ। वह 2014 से 2017 तक झारखंड टीम के लिए खेलते रहे। इसके बाद उनका चयन 2018 में भारतीय टीम के लिए हो गया।
गरीब परिवार से हैं सुजीत, 3 भाई मजदूर..
सुजीत मुंडा के अनुसार, वह बेहद गरीब परिवार से आते हैं। उनके तीन भाई मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं। उनका परिवार रांची के HEC की एक् अस्थायी कालोनी में निवास करते हैं, जहां केवल दो कमरे उपलब्ध हैं। इसी में उनका पूरा परिवार जीवन बसर करता है। चूंकि वह दृष्ठिहीन हैं, इसलिए उनके भाई और परिवार के अन्य लोग उनकी काफी मदद करते हैं। उन्हीं की बदौलत उन्होंने अपने जीवन में यह सफलता अर्जित की है। सुजीत मुंडा कहते हैं कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि विदेश यात्राएं करेंगे, लेकिन अबतक कई बार वह विदेश की यात्राएं कर चुके हैं। उनके करियर को ऊंचाई देने में परिवार की अहम भूमिका है।
आज मां होती तो बेटे पर गर्व महसूस करती..
सुजीत मुंडा को अपनी मां शांति देवी पर बहुत गर्व है। वजह, उन्हें अपने पुत्र पर भी बहुत गर्व था। मां अब इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वह अपनी मां को हर क्षण अपने करीब महसूस करते हैं। कहते हैं- मां ने जिस गरीबी में पालकर उन्हें बड़ा किया। शारीरिक दिव्यांगता के बावजूद सपनों को साकार करने में मदद की, उसे कभी भुला नहीं सकते। देखा जाए तो हर कोई अपने आप में पूर्ण होता है। हर कोई अपने सपने को साकार कर सकता है। बस उसके पास हौसला होना चाहिए।
पहले लोग ताना मारते थे, अब लोग तारीफ करते हैं..
गरीब परिवार में पैदा होने के बावजूद मां ने हिम्मत से काम लिया। परिवार भी मेरे साथ हर पल खड़ा रहा। तीनों भाई मजदूरी कर उसकी मदद के लिए हमेशा एक पैर पर खड़े रहे। सुजीत मुंडा कहते हैं कि दृष्टिहीन होने के कारण समाज के लोग बहुत ताना मारते थे, लेकिन अब सभी लोग तारीफ करते हैं। क्योंकि अपनी प्रतिभा के बूते मैंने दिव्यांगता को बौना बना दिया है। अब हर कोई मेरी तारीफ करते नहीं थकता है। परिवार के लोग गर्व महसूस करते हैं। काश ऐसे पल में आज मां जिंदा होती तो उसे खुशी का ठिकाना नहीं रहता।