रांची: झारखंड में शराब घोटाले को लेकर सियासत गरमा गई है। आजसू पार्टी के केंद्रीय अध्यक्ष एवं राज्य के उपमुख्यमंत्री सुदेश महतो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को सीधे तौर पर चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि अगर हेमंत सरकार खुद को बेदाग मानती है तो वह इस घोटाले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) से कराएं।
सुदेश महतो ने शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता में कहा कि एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) द्वारा एक ही दिन में प्राथमिकी दर्ज कर अफसरों की गिरफ्तारी कर इतिहास रच दिया गया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई मुख्यमंत्री और विभागीय मंत्री की जानकारी के बिना हो सकती थी? उन्होंने कहा कि नीतिगत बदलाव अफसर अकेले नहीं कर सकते। इसकी स्वीकृति बिना शीर्ष स्तर से मिले संभव नहीं है।
महतो ने आरोप लगाया कि CBI जांच से मुख्यमंत्री और संबंधित मंत्री भी जांच के घेरे में आ सकते हैं। इसी डर से आईएएस अधिकारी विनय चौबे और संयुक्त उत्पाद आयुक्त गजेंद्र सिंह को बलि का बकरा बनाया गया है ताकि असली दोषियों को बचाया जा सके। उन्होंने कहा कि यह सरकार जनता की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश कर रही है।
उन्होंने आगे कहा कि विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर सरकार का ध्यान आकृष्ट करता रहा है। झारखंड राज्य बेवरेज कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अप्रैल 2022 में जारी की गई निविदा में शर्तों का उल्लंघन कर छत्तीसगढ़ की एक कंपनी को ठेका दिया गया, ताकि दोनों राज्यों के संगठित सिंडिकेट को अवैध मुनाफा कमाने का मौका मिले।
महतो ने बताया कि सितंबर 2024 में छत्तीसगढ़ में विनय चौबे के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था, जिसके बाद झारखंड सरकार ने आनन-फानन में एक प्राथमिक जांच समिति गठित की, लेकिन प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई। अब जब पूरे मामले में सरकार की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं, तो जल्दबाजी में कार्रवाई कर दिखाने की कोशिश की जा रही है कि सरकार सख्त है, जबकि असलियत कुछ और ही है।
उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि जिस तरह दिल्ली में केजरीवाल सरकार की असलियत जनता के सामने आई है, वैसे ही झारखंड सरकार का भी सच सामने आने लगा है। उन्होंने दोहराया कि जब तक इस मामले की निष्पक्ष जांच नहीं होती, तब तक सच्चाई सामने नहीं आएगी।