झारखंड में अब जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को सुदृढ़ और व्यवस्थित करने की तैयारी हो रही है. राज्य सरकार ने इसके लिए पश्चिम बंगाल के मॉडल को अपनाने का फैसला किया है. इस दिशा में शिक्षा विभाग की एक टीम पश्चिम बंगाल जाएगी और वहां के स्कूलों में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा पढ़ाने की प्रक्रिया का अध्ययन करेगी. इसके बाद झारखंड के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी.
शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने बताया कि राज्य सरकार प्राथमिक से लेकर विश्वविद्यालय स्तर तक जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को मजबूत बनाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके तहत प्राथमिक कक्षाओं से ही जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई शुरू की जाएगी. उन्होंने यह भी कहा कि स्कूलों में इन भाषाओं की शिक्षा को और बेहतर बनाने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे. मंगलवार को शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मुलाकात की और इस संबंध में अपने प्रस्ताव की जानकारी दी. मुख्यमंत्री ने इस प्रस्ताव पर सहमति देते हुए शिक्षा विभाग को इस दिशा में आगे की प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया.
पश्चिम बंगाल से सीखने का उद्देश्य
पश्चिम बंगाल में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को एक सुदृढ़ ढांचा दिया गया है. वहां न केवल प्राथमिक और माध्यमिक स्तर पर बल्कि उच्च शिक्षा में भी इन भाषाओं का समावेश किया गया है. झारखंड सरकार भी इसी मॉडल को अपनाकर राज्य के स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को व्यापक बनाने की योजना बना रही है. शिक्षा विभाग की टीम जनवरी के पहले सप्ताह में पश्चिम बंगाल का दौरा करेगी. इस टीम में जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षाविद और विभाग के पदाधिकारी शामिल होंगे. वे पश्चिम बंगाल में इन भाषाओं की पढ़ाई के तरीके, शिक्षकों की नियुक्ति, पाठ्यक्रम निर्माण और शिक्षण प्रक्रिया का अध्ययन करेंगे.
टीम करेगी विस्तृत अध्ययन
शिक्षा विभाग की टीम पश्चिम बंगाल के विभिन्न स्कूलों और शिक्षण संस्थानों का दौरा करेगी. टीम निम्नलिखित पहलुओं पर जानकारी एकत्र करेगी:
शिक्षकों की नियुक्ति:
• जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के लिए योग्य शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया.
पाठ्यक्रम:
• इन भाषाओं के लिए तैयार पाठ्यक्रम और उनके शिक्षण के तरीके.
छात्र संख्या:
• इन भाषाओं को पढ़ने वाले छात्रों की संख्या और उनकी रुचि.
प्रभाव:
• इन भाषाओं की पढ़ाई का छात्रों और समाज पर क्या प्रभाव पड़ा है.
रिपोर्ट तैयार कर झारखंड में लागू होगा मॉडल
पश्चिम बंगाल में किए गए अध्ययन के आधार पर झारखंड सरकार एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी. इस रिपोर्ट में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को सुदृढ़ करने के लिए आवश्यक सिफारिशें शामिल होंगी. इसके बाद झारखंड के स्कूलों और विश्वविद्यालयों में इन सिफारिशों को लागू करने के लिए विस्तृत योजना बनाई जाएगी.
जनजातीय भाषाओं की पढ़ाई का महत्व
झारखंड की संस्कृति और परंपरा में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का महत्वपूर्ण स्थान है. ये भाषाएं न केवल संवाद का माध्यम हैं, बल्कि इनमें राज्य की सांस्कृतिक धरोहर और लोक ज्ञान भी समाहित है. शिक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को प्राथमिक स्तर से पढ़ाने से बच्चों में अपनी संस्कृति के प्रति सम्मान और समझ विकसित होगी.
सरकार का उद्देश्य
सरकार का उद्देश्य है कि झारखंड के हर क्षेत्र के बच्चे अपनी मातृभाषा और क्षेत्रीय भाषाओं में निपुण बनें. इससे न केवल उनकी पहचान सुदृढ़ होगी, बल्कि वे अपने समाज और संस्कृति से गहरे जुड़े रहेंगे. सरकार ने यह भी तय किया है कि इस प्रक्रिया को जल्द से जल्द शुरू किया जाएगा, ताकि नई पीढ़ी को अपनी भाषाई धरोहर से परिचित कराया जा सके.