झारखंड सरकार ने राज्य में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई को अनिवार्य बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग ने इस संदर्भ में अधिसूचना जारी कर दी है. इसके तहत प्राथमिक (कक्षा 1-5) और उच्चतर प्राथमिक (कक्षा 6-8) स्तर पर इन भाषाओं की पढ़ाई अनिवार्य की जाएगी. इस पहल का उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा प्रदान कर उनकी बौद्धिक क्षमता और शैक्षणिक प्रदर्शन को बेहतर बनाना है.
समिति का गठन और जिम्मेदारियां..
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के नेतृत्व में सरकार ने एक 7 सदस्यीय उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है. समिति का नेतृत्व प्राथमिक शिक्षा निदेशक शशि प्रकाश सिंह करेंगे. अन्य सदस्यों में शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव नंद किशोर लाल, जैक के सचिव जयंत कुमार मिश्र, जेईपीसी के प्रशासी पदाधिकारी सच्चिदानंद द्विवेंदु तिग्गा, जेईपीसी के प्रभारी गुणवत्ता शिक्षा अभिनव कुमार और जनजातीय व क्षेत्रीय भाषा के शिक्षाविद डॉ. रजनीकांत मार्डी और छोटा भुजंग टुडू शामिल हैं. समिति का मुख्य उद्देश्य राज्य में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं की पढ़ाई के लिए कानूनी और प्रशासनिक ढांचे का अध्ययन करना है. इसके लिए समिति पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों का दौरा करेगी, जहां ऐसी भाषाओं को शिक्षा प्रणाली में सफलतापूर्वक शामिल किया गया है.
समिति का कार्यक्षेत्र..
समिति जनवरी के पहले सप्ताह से अपना काम शुरू करेगी. इसके कार्यक्षेत्र में शामिल हैं.
- कानूनी और प्रशासनिक ढांचे का अध्ययन:
• समिति जनजातीय भाषाओं के शिक्षण के लिए अधिनियम, नियमावली और अधिसूचनाओं का अध्ययन करेगी. - पाठ्यक्रम और पुस्तकों का निर्माण:
• पाठ्यक्रम के निर्माण, पुस्तकों की सामग्री, लिपि चयन और प्रकाशन की प्रक्रिया को समझा जाएगा. - शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया:
• शिक्षकों की नियुक्ति, उनके वेतन और शिक्षण सामग्री की व्यवस्था का खाका तैयार किया जाएगा. - ई-लर्निंग का अध्ययन:
• ई-लर्निंग के माध्यम से इन भाषाओं को कैसे पढ़ाया जा सकता है, इस पर विचार किया जाएगा.
पहल का उद्देश्य और महत्व..
शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन ने कहा कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य बच्चों को उनकी मातृभाषा में शिक्षा देकर उनके शैक्षणिक प्रदर्शन को मजबूत करना है. मातृभाषा में शिक्षा से बच्चों की समझने की क्षमता बेहतर होती है और उनकी बौद्धिक क्षमता का अधिकतम विकास होता है.
समिति का पश्चिम बंगाल दौरा..
समिति अन्य राज्यों, विशेषकर पश्चिम बंगाल का दौरा करेगी, जहां जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं को शिक्षा में प्रभावी ढंग से शामिल किया गया है. वहां की प्रक्रियाओं और नीतियों का अध्ययन कर झारखंड सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी. इस रिपोर्ट के आधार पर झारखंड में इन भाषाओं की पढ़ाई को प्रभावी बनाने के लिए कदम उठाए जाएंगे.
जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का महत्व..
झारखंड की संस्कृति और परंपराओं में जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं का महत्वपूर्ण स्थान है. इन भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन के लिए शिक्षा में इनका समावेश अत्यंत जरूरी है. यह पहल न केवल इन भाषाओं के संरक्षण में सहायक होगी, बल्कि इन भाषाओं को बोलने वाले समुदायों को मुख्यधारा में शामिल करने का भी कार्य करेगी.
भविष्य की योजनाएं और समीक्षा प्रक्रिया..
सरकार इस योजना को लागू करने के लिए व्यापक तैयारी कर रही है. समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट के आधार पर सरकार शिक्षण सामग्री तैयार करेगी और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करेगी. समिति की प्रगति की साप्ताहिक समीक्षा की जाएगी और जरूरत पड़ने पर आवश्यक बदलाव किए जाएंगे.