राज्य सरकार की गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना, जो 12वीं के बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्रों के लिए बनाई गई है, राज्य के कई प्रमुख कॉलेजों के छात्रों को लाभ नहीं दे पा रही है. इस योजना के तहत, छात्रों को 15 लाख रुपये तक का शिक्षा ऋण बिना आय सीमा और गारंटी के दिया जाता है. हालांकि, योजना के तहत 18,879 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया, लेकिन कड़ी शर्तों के चलते केवल 1,212 छात्र ही आवेदन कर पाए. अभी तक 242 छात्रों को ही ऋण की स्वीकृति मिली है, जबकि 899 आवेदन बैंकों में लंबित हैं.
योजना की सीमाएं और कड़ी शर्तें
गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना फिलहाल सिर्फ 7 संस्थानों के छात्रों को कवर कर रही है: अरका जैन विश्वविद्यालय (जमशेदपुर), बीआईटी मेसरा (रांची), आईआईएम (रांची), आईआईटी आईएसएम (धनबाद), नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी (रांची), निर्मला कॉलेज (रांची), और एक्सएलआरआई (जमशेदपुर)। वहीं, राज्य के अन्य प्रमुख संस्थान जैसे बीआईटी सिंदरी, एनआईटी (जमशेदपुर), सेंट जेवियर कॉलेज (रांची), और रिम्स (रांची) के छात्रों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पा रहा है. इस स्थिति के पीछे मुख्य कारण है योजना की कड़ी शर्तें, जिनके अनुसार संस्थान को नैशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क (NIRF) की टॉप 200 लिस्ट में होना चाहिए, या संबंधित कोर्स की रैंकिंग टॉप 100 में होनी चाहिए, या संस्थान को नैक (NAAC) की ग्रेडिंग में A प्लस या A रेटिंग होनी चाहिए.
छात्रों के लिए अन्य राज्यों में क्या व्यवस्थाएं हैं?
बिहार और पश्चिम बंगाल जैसे अन्य राज्यों में भी ऐसी ही शिक्षा ऋण योजनाएं लागू हैं. हालांकि, वहां के छात्रों को इस योजना का लाभ बिना किसी शर्त के मिलता है. बिहार में अधिकतम ऋण राशि 4 लाख रुपये और पश्चिम बंगाल में 10 लाख रुपये है. झारखंड में शर्तों के चलते, बड़ी संख्या में योग्य छात्र इस योजना का लाभ नहीं ले पा रहे हैं.
सरकार कर रही है पुनर्विचार
राज्य के उच्च और तकनीकी शिक्षा विभाग के निदेशक राम निवास यादव ने बताया कि सभी छात्रों को योजना का लाभ देने के लिए सरकार विचार-विमर्श कर रही है. शीघ्र ही इस विषय पर निर्णय लिया जाएगा ताकि राज्य के सभी नामी-गिरामी शिक्षण संस्थानों में पढ़ने वाले छात्रों को इस योजना का लाभ मिल सके.
भविष्य की राह
इस योजना के तहत राज्य सरकार ने 40 वर्ष तक के छात्रों के लिए ऋण देने की व्यवस्था की है, जिसमें 4% ब्याज दर पर प्रोसेसिंग फीस और गारंटी की आवश्यकता नहीं होती. पढ़ाई पूरी करने के एक साल बाद से ऋण की वसूली शुरू होगी और इसे 15 साल में चुकाना होगा. राज्य सरकार की योजना के तहत किसी भी कारण से ऋण अदायगी में चूक होने पर, राज्य सरकार बैंकों को भुगतान करेगी.