अब स्कूल परिसर में जबरन खरीदारी थोपने की प्रवृत्ति पर लगाम लगेगी. जिला प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि यदि कोई निजी विद्यालय छात्रों या अभिभावकों को स्कूल परिसर में स्थित कियोस्क या किसी विशेष प्रतिष्ठान से पुस्तकें, यूनिफॉर्म, जूते आदि खरीदने के लिए बाध्य करता है, तो उस पर पचास हजार से लेकर ढाई लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा. यही नहीं, गंभीर उल्लंघन की स्थिति में स्कूल की मान्यता भी समाप्त की जा सकती है.
झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत होगी कार्रवाई
यह कार्रवाई झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम 2017 के तहत की जाएगी, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि विद्यालय भवन या परिसर का उपयोग केवल शैक्षणिक गतिविधियों के लिए किया जा सकता है, न कि व्यवसायिक उद्देश्यों के लिए. शनिवार को उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री के निर्देशानुसार उप विकास आयुक्त दिनेश यादव की अध्यक्षता में गैर सहायता प्राप्त मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों के प्राचार्यों व प्रतिनिधियों के साथ बैठक आयोजित की गई. बैठक में झारखंड गजट में प्रकाशित दिशा-निर्देशों के आलोक में स्कूलों में शुल्क समिति एवं अभिभावक-शिक्षक संघ (PTA) के गठन की अनिवार्यता को लेकर विस्तार से जानकारी दी गई.
शुल्क वृद्धि केवल समिति की अनुमति से
उप विकास आयुक्त दिनेश यादव ने स्पष्ट किया कि अब कोई भी विद्यालय मनमर्जी से शुल्क नहीं बढ़ा सकता. शुल्क में किसी भी प्रकार की वृद्धि केवल जिला एवं विद्यालय स्तर पर गठित शुल्क समिति और अभिभावक-शिक्षक संघ की अनुमति से ही की जा सकेगी. उन्होंने सभी स्कूलों को शीघ्र समिति गठन के निर्देश भी दिए.
स्कूल परिसर में व्यावसायिक गतिविधियों पर रोक
बैठक में जिला शिक्षा अधीक्षक बादल राज एवं जिला शिक्षा पदाधिकारी विनय कुमार ने भी अधिनियम के प्रावधानों की जानकारी दी और उपस्थित प्राचार्यों के सवालों का जवाब दिया. इस दौरान जिला परिवहन पदाधिकारी अखिलेश कुमार ने स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर आवश्यक दिशा-निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि स्कूल बसों का रंग अनिवार्य रूप से पीला होना चाहिए और सभी नियमों का पालन सुनिश्चित करना होगा. प्रशासन की इस सख्ती को देखते हुए अब स्कूलों को पारदर्शिता और नियमों के तहत कार्य करना होगा, अन्यथा कठोर कार्रवाई के लिए तैयार रहना पड़ेगा.