राज्य के वकील नौ मई तक कोर्ट की कार्यवाही में नहीं होंगे शामिल..

राज्य के वकील अब नौ मई तक किसी भी अदालती कार्य में शामिल नहीं होंगे। वर्चुअल और फिजिकल किसी भी माध्यम से कोर्ट में शामिल नहीं होंगे। किसी भी न्यायिक कार्य के लिए वकीलों को न्यायालय कक्ष में जाने पर रोक रहेगी। झारखंड हाईकोर्ट में सिर्फ कोरोना से संबंधित मामलों में ही वकील शामिल हो सकते हैं, वह भी ऑनलाइन।

रविवार को झारखंड राज्य बार काउंसिल की बैठक में यह निर्णय लिया गया। कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए झारखंड बार कौंसिल 19 अप्रैल से ही वकीलों को अदालती कार्य से खुद को अलग रखने का आदेश दिया है। पहले यह रोक 19 से 24 अप्रैल तक थी, फिर इसे बढ़ाकर दो मई की गई थी। रविवार को हुई काउंसिल की बैठक में यह रोक एक सप्ताह तक और बढ़ाने का निर्णय लेते हुए इसकी अवधि नौ मई तक बढ़ा दी गई। हालांकि कोरोना से संबंधित मामलों में वकील शामिल हो सकेंगे। इसकी छूट कौंसिल ने दी है।

अब तक 3 वकील व रिटायर्ड असिस्टेंट रजिस्टर की हो चुकी है मौत..
विगत 5 दिनों में झारखंड हाईकाेर्ट के तीन अधिवक्ता राजीव आनंद, प्रवीण कुमार राणा व प्रवीण कुमार का निधन हो गया है। एडवोकेट एसोसिएशन झारखंड हाईकोर्ट के अध्यक्ष ऋतु कुमार, महासचिव नवीन कुमार और कोषाध्यक्ष धीरज कुमार ने इन तीनों अधिवक्ताओं के निधन पर शोक संवेदना प्रकट की है। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण ने एसोसिएशन के कई सदस्यों को असमय हमारे बीच से छिन लिया। विगत 2 माह के अंदर एडवोकेट्स एसोसिएशन ने कई सदस्यों को खोया है।

एसोसिएशन ने सरकार से जिन अधिवक्ताओं की मौत कोरोना संक्रमण से हुई है, उनके परिजनों को कम से कम 10 लाख रुपये की आर्थिक सहायता की मांग की है। वहीं, दूसरी ओर झारखंड हाईकोर्ट के रिटायर असिस्टेंट रजिस्टर राय निर्मल चंद्र का भी निधन हो गया। वह भी कोरोना संक्रमित थे। रिम्स में उनका इलाज चल रहा था।

निर्णय नहीं माने जाने पर कार्रवाई होगी..
बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्णा ने बताया कि यह निर्देश राज्य के सभी वकीलों के लिए है। इस निर्णय की जानकारी सभी जिलों के बार एसोसिएशन के अध्यक्ष और महासचिव को पत्र के माध्यम से दे दी गई है। उन्होंने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट में कोरोना वायरस से सबंधित अगर किसी याचिका पर सुनवाई हुई तो उस याचिका से संबंधित अधिवक्ता न्यायालय के समक्ष उपस्थित होकर अपना पक्ष रख सकते हैं। लेकिन इसके अलावा अन्य किसी भी मामले में अधिवक्ता अदालत में उपस्थित नहीं होंगे। अगर कोई भी वकील कौंसिल के इस निर्देश की अवहेलना करता है तो उस पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।