झारखंड की राजनीति में रघुवर दास की वापसी की अटकलें, भाजपा के संभावित उम्मीदवार…..

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में ओडिशा के राज्यपाल रघुवर दास की झारखंड की राजनीति में वापसी की चर्चाएं जोरों पर हैं. आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश भाजपा की अंदरूनी चर्चाओं में उनका नाम जमशेदपुर पूर्वी सीट के लिए संभावित प्रत्याशी के रूप में प्रमुखता से सामने आ रहा है. रघुवर दास इस सीट से पहले लगातार पांच बार विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के बागी नेता सरयू राय ने पराजित कर दिया था.

सरयू राय से हार के बाद भी रघुवर दास का राजनीतिक उत्साह बरकरार

पिछले विधानसभा चुनाव में सरयू राय की जीत ने रघुवर दास के राजनीतिक सफर को झटका दिया था. सरयू राय, जो भाजपा के ही बागी नेता थे, उन्होंने रघुवर दास को जमशेदपुर पूर्वी सीट से हराकर सबको चौंका दिया था. इसके बावजूद, रघुवर दास ने राजनीति से दूरी नहीं बनाई और अपने समर्थकों के बीच सक्रिय बने रहे. वे लगातार अपने गृह नगर जमशेदपुर आते-जाते रहते हैं और विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक कार्यक्रमों में भाग लेते हैं. इससे यह साफ संकेत मिलता है कि रघुवर दास राजनीति में वापसी की तैयारी में हैं.

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात और वापसी की संभावनाएं

रघुवर दास ने बीते 27 अगस्त को नई दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की, जिससे उनके सक्रिय राजनीति में वापसी की अटकलें और तेज हो गई हैं. सूत्रों के मुताबिक, रघुवर दास ने अपनी इच्छा पार्टी नेतृत्व के सामने स्पष्ट कर दी है और अगर उन्हें पार्टी की ओर से हरी झंडी मिलती है तो वे विधानसभा चुनाव में जमशेदपुर पूर्वी सीट से फिर से उम्मीदवार बन सकते हैं.

भाजपा का राज्य में चौतरफा अभियान और रघुवर दास का प्रभाव

विधानसभा चुनाव के मद्देनजर भाजपा राज्य में व्यापक अभियान चला रही है. इस कड़ी में हाल ही में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों, चम्पाई सोरेन और मधु कोड़ा ने भाजपा का दामन थामा है. पार्टी को उम्मीद है कि इन नेताओं के जरिए वह आदिवासी मतदाताओं को आकर्षित करने में सफल हो सकती है. रघुवर दास की वापसी से पार्टी को ओबीसी मतदाताओं पर अपनी पकड़ और मजबूत करने का मौका मिलेगा. वे राज्य के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं जिन्होंने लगातार पांच साल तक सरकार चलाई, और उनका राजनीतिक अनुभव पार्टी के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है.

पिछले चुनाव में भाजपा की स्थिति और रघुवर दास की भूमिका

पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को झारखंड में बड़ा झटका लगा था. राज्य की 28 आदिवासी सुरक्षित सीटों में से केवल दो सीटें ही भाजपा के खाते में आ पाईं थीं. इसके अलावा, हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनाव में भी भाजपा को पांचों आदिवासी सुरक्षित सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था. पार्टी को उम्मीद है कि रघुवर दास की सक्रियता और उनके प्रभाव का लाभ उठाकर वह मतदाताओं का संतुलन साधने में सफल हो सकती है.

पार्टी के भीतर नेताओं की चुप्पी और रणनीतिक चक्रव्यूह

रघुवर दास की संभावित वापसी को लेकर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता फिलहाल खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. पार्टी के एक प्रवक्ता ने कहा कि नेतृत्व का निर्देश सर्वोपरि है और उसी के मुताबिक कार्यकर्ताओं की भूमिका तय होती है. हालांकि, रघुवर दास के समर्थकों का मानना है कि उनकी वापसी से पार्टी को मजबूती मिलेगी और राज्य में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार होगा. समर्थकों को उम्मीद है कि नेतृत्व द्वारा उन्हें हरी झंडी मिलते ही वे चुनावी मैदान में उतरकर पार्टी को मजबूती प्रदान करेंगे.

ओबीसी मतदाताओं पर बढ़ती पकड़

रघुवर दास की वापसी से भाजपा को ओबीसी मतदाताओं के बीच अपनी पकड़ और मजबूत करने की उम्मीद है. रघुवर दास का प्रभाव ओबीसी समुदाय में गहरा है, और उनकी वापसी पार्टी के लिए एक बड़ा प्लस पॉइंट हो सकती है. उनकी प्रशासनिक क्षमता और राज्य की राजनीति में लंबे अनुभव का पार्टी को पूरा लाभ मिल सकता है.

रघुवर दास के समर्थकों की उम्मीदें और आगामी चुनाव

रघुवर दास के समर्थक लगातार उनके सक्रिय राजनीति में लौटने की उम्मीद लगाए बैठे हैं. उनका मानना है कि दास की वापसी से न सिर्फ पार्टी को बल मिलेगा बल्कि झारखंड की राजनीति में भी एक नई दिशा का संचार होगा. समर्थकों का कहना है कि रघुवर दास की सरकार के दौरान राज्य में विकास के कई कार्य हुए थे और वे राज्य के पहले मुख्यमंत्री थे जिन्होंने अपना कार्यकाल पूरा किया. ऐसे में उनकी वापसी से पार्टी को एक अनुभवी नेतृत्व मिलेगा जो राज्य की जनता के बीच विश्वास पैदा कर सकता है.

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