जामताड़ा पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए एआई की मदद से करोड़ों रुपये की ठगी करने वाले छह शातिर साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है। इन अपराधियों ने अब तक 11 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी को अंजाम दिया है।
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कैसे करते थे ठगी?
गिरफ्तार किए गए आरोपियों ने पीएम किसान योजना, पीएम फसल बीमा योजना, और अन्य सरकारी योजनाओं, बैंकों तथा एनपीसीआई इंटरनेशनल के नाम से फर्जी मोबाइल एपीके बनाए थे। इन एपीके को विभिन्न इंटरनेट साइटों पर अपलोड कर लोगों को जाल में फंसाकर उनके बैंकिंग और व्यक्तिगत विवरण चुरा लेते थे।
2700 लोगों से ठगी, लाखों संदेशों का आदान-प्रदान
पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि आरोपियों ने 2700 लोगों को ठगी का शिकार बनाया। साथ ही, उनके द्वारा 25 लाख से अधिक बार संदेशों का आदान-प्रदान किए जाने के प्रमाण भी मिले हैं। आरोपियों के पास से पंजाब नेशनल बैंक के 2000 और केनरा बैंक के 500 खाताधारकों का डेटा भी बरामद किया गया है।
गिरफ्तार किए गए अपराधियों में गिरिडीह और जामताड़ा के रहने वाले छह लोग शामिल हैं:
- महबूब आलम उर्फ डीके बोस – बांकीकला, गिरिडीह
- सफाउद्दीन अंसारी – गिरिडीह
- आरिफ अंसारी उर्फ डीके – गिरिडीह
- जसीम अंसारी – लखनपुर, गिरिडीह
- शेख बेलाल उर्फ डीके – महजारी, गिरिडीह
- अजय मंडल – सियाटांड़, जामताड़ा
गिरफ्तारी में पुलिस की अहम भूमिका
जामताड़ा एसपी एहतेशाम वकारिब ने बताया कि पुलिस को लंबे समय से इन अपराधियों की तलाश थी। ट्रेनी आईपीएस राघवेंद्र शर्मा, डीएसपी चंद्रशेखर और इंस्पेक्टर जयंत तिर्की की अगुवाई में नारायणपुर थाना क्षेत्र में छापेमारी कर इन अपराधियों को गिरफ्तार किया गया।
बरामदगी और साइबर अपराध के नए तरीके
गिरफ्तार अपराधियों के पास से 14 मोबाइल फोन, 23 फर्जी आईडी पर लिए गए सिम कार्ड, दो कारें, एक डीएसएलआर कैमरा, एक ड्रोन कैमरा और 1,08,800 रुपये नकद बरामद किए गए हैं। हैरानी की बात यह है कि ये अपराधी साइबर ठगी के लिए ड्रोन कैमरे का भी इस्तेमाल कर रहे थे।
पुलिस कर रही गहन जांच
इस गिरोह के पास से मिले डिजिटल साक्ष्यों की गहनता से जांच की जा रही है। पुलिस टीम यह भी पता लगाने की कोशिश कर रही है कि इन अपराधियों के संपर्क में और कौन-कौन लोग थे और इनके अन्य सहयोगी कहां सक्रिय हैं।
सावधानी ही बचाव
पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे किसी भी अनजान एप्लिकेशन को डाउनलोड करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें। किसी भी संदिग्ध लिंक पर क्लिक करने या बैंकिंग जानकारी साझा करने से बचें ताकि साइबर ठगी का शिकार होने से बचा जा सके।