झारखंड के देवघर में स्थित वैद्यनाथ धाम में सावन की पहली सोमवारी के मौके पर एक लाख से अधिक कांवड़िया भक्तों ने भगवान शिव को जलाभिषेक किया. इसी के साथ देवघर में एक महीने तक चलने वाला श्रावणी मेला शुरू हो गया है. बासुकीनाथ धाम में भी सोमवार शाम तक 50 हजार से अधिक भक्तों ने दर्शन-पूजन किया. देवघर में जलाभिषेक के बाद भगवान बासुकी को जल चढ़ाने की परंपरा है.
सावन महीने की विशेष धार्मिक यात्रा
सावन के महीने में श्रद्धालु भागलपुर के अजगैबीनाथ में उत्तरवाहिनी गंगा से जल उठाकर 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा तय करते हुए देवघर में बाबा वैद्यनाथ को जल चढ़ाते हैं. इस पूरी यात्रा के दौरान कांवड़ियों का जोश और भक्ति देखने लायक होती है. बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष से पूरा कांवड़िया पथ गूंज उठता है. केसरिया रंग के वस्त्र पहने कांवड़िये कांधे पर कांवर लेकर चलते हैं और पूरे वातावरण में श्रद्धा का माहौल बना देते हैं. अजगैबीनाथ से बाबाधाम तक की कांवर यात्रा अपने आप में अद्भुत और अलौकिक है. देवघर में सुबह मंदिर का पट खुलते ही सरदार पंडा गुलाब नंद ओझा ने बाबा की प्रात:कालीन पूजा की. इसके बाद आम भक्तों के लिए पट खोल दिया गया. चाक-चौबंद सुरक्षा के बीच भक्तों ने अरघा के जरिये भोलेनाथ को जल चढ़ाया.
बारिश भी नहीं रोक पाई श्रद्धालुओं का उत्साह
सावन के महीने की पहली सोमवारी पर हल्की वर्षा भी हुई, लेकिन श्रद्धालुओं पर इसका कोई असर नहीं हुआ. बाबा नगरी में हर ओर केसरिया वस्त्र पहने और कांधे पर गंगाजल बंधी कांवर लेकर चलते कांवड़िये नजर आ रहे थे. बाबा नगरी में बोल बम और हर-हर महादेव के जयघोष दिन-रात गूंज रहे थे. कांवरियों के जलार्पण, भीड़ व कतार नियंत्रण, निगरानी और सुरक्षा के व्यापक प्रबंध किए गए थे. कांवरियों की सुविधा के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए थे. सोमवार सुबह से ही जलार्पण के लिए कांवरियों का तांता लगा रहा. जल चढ़ाने के लिए बड़ी संख्या में कांवड़िये दो दिन पहले ही सुल्तानगंज से जल लेकर पैदल चल पड़े थे और ज्यादातर कांवड़िये रविवार रात से ही कतार में लग गए थे.
देर रात तक जलार्पण करते रहे कांवड़िये
सोमवार को देर रात तक कांवड़िये जलार्पण करते रहे. देवघर में हर बार की तरह इस बार भी पूरे सावन अरघा के माध्यम से ही जलार्पण की व्यवस्था की गई है. वीआईपी पूजा की सुविधा भी सावन में उपलब्ध नहीं रहेगी. वहीं, शीघ्र दर्शनम कूपन की व्यवस्था सोमवार को छोड़कर बाकी दिनों के लिए बरकरार है.
बासुकीनाथ में भी रिमझिम फुहारों के बीच जलार्पण
दुमका में बाबा बासुकीनाथ के दरबार में सावन महीने की पहली सोमवारी पर सुबह तीन बजे ही बाबा मंदिर के कपाट खोल दिए गए. इंद्रदेव ने भी बाबा फौजदारी के दरबार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई. दिनभर रुक-रुककर इंद्रदेव ने रिमझिम फुहारों से कांवड़ियों पर कृपा की बौछारें की. श्रद्धालुओं को सुगमतापूर्वक जलाभिषेक कराने के लिए मंदिर प्रबंधन और जिला प्रशासन ने पूरी तैयारी कर रखी थी. हर-हर महादेव और बोल-बम के नारे हर ओर दिन-रात सुनाई दे रहे थे. जलार्पण करने के लिए श्रद्धालु रविवार रात से ही कतारबद्ध हो गए थे. मंदिर के सरकारी पुजारी ने रात्रि दो बजे के करीब गर्भगृह के कपाट खोले। पुरोहित पूजन के बाद करीब तीन बजे आम लोगों ने अरघा के जरिये जलार्पण किया. भीड़ नियंत्रण के उद्देश्य से दर्शनिया टिकर के रास्ते से आने वाले श्रद्धालुओं को रोक-रोक कर मंदिर के रास्ते में भेजा गया. शिवगंगा में स्नान करने वाले श्रद्धालुओं की संख्या काफी अधिक थी.
सुरक्षा और व्यवस्था के विशेष इंतजाम
सावन की पहली सोमवारी के अवसर पर प्रशासन ने कांवरियों की सुविधा और सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए थे. जलार्पण के लिए जगह-जगह जलकुंड बनाए गए थे, ताकि कांवरिये आसानी से जलार्पण कर सकें. भीड़ नियंत्रण और सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था. श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पेयजल, शौचालय और चिकित्सा की व्यवस्था भी की गई थी. कांवरियों की यात्रा को सुरक्षित और सुखद बनाने के लिए प्रशासन ने मार्ग में जगह-जगह विश्राम स्थलों का प्रबंध किया था. इन स्थलों पर कांवरियों को आराम करने, भोजन और चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं.
श्रावणी मेले की शुरुआत
सावन की पहली सोमवारी के साथ ही देवघर में श्रावणी मेले की शुरुआत हो गई है. यह मेला पूरे महीने चलता है और देशभर से लाखों श्रद्धालु इसमें शामिल होते हैं. मेले के दौरान मंदिर परिसर और शहर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है. भक्तगण पूरे महीने बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए यहां आते हैं. श्रावणी मेले का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत अधिक है. यह मेला न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसे झारखंड की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में भी देखा जाता है. मेले के दौरान यहां की स्थानीय संस्कृति और परंपराओं का अद्भुत प्रदर्शन होता है.
देवघर की विशेषता
देवघर, जिसे ‘बाबा नगरी’ भी कहा जाता है, अपने धार्मिक महत्व के कारण देशभर में प्रसिद्ध है. यहां स्थित बाबा वैद्यनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है और इसे बहुत पवित्र माना जाता है. यहां आने वाले श्रद्धालु अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए बाबा वैद्यनाथ का जलाभिषेक करते हैं.