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श्रावणी मेला: देवघर में कांवरियों का प्रदर्शन, प्रशासन और सरकार के खिलाफ नारेबाजी…

श्रावणी मेला देवघर में हर साल आयोजित होने वाला प्रमुख धार्मिक आयोजन है, जिसमें लाखों शिवभक्त बाबा धाम पहुंचते हैं. इस साल सावन की तीसरी सोमवारी के दिन ढाई लाख से अधिक कांवरिये देवघर पहुंचे. श्रद्धालु बाबा भोलेनाथ के जलार्पण के लिए उत्साहित थे, लेकिन प्रशासन की व्यवस्थाओं से असंतुष्ट कुछ कांवरिये उग्र हो गए और जिला प्रशासन और झारखंड सरकार के खिलाफ नारेबाजी करने लगे. सुरक्षा के कड़े इंतजाम थे, जिसमें एटीएस, एनडीआरएफ, सीआरपीएफ और झारखंड पुलिस के जवान तैनात थे. प्रशासन ने कंपोजिट कंट्रोल रूम से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी की. ड्रोन का इस्तेमाल भीड़ नियंत्रण के लिए किया गया. रविवार की रात से ही कांवरियों का आना शुरू हो गया था, और सुबह 4 बजे से आम भक्तों के लिए जलार्पण की शुरुआत हुई.

कावरियों के नाराजगी की वजह और परिणाम 

कांवरियों की नाराजगी का मुख्य कारण प्रशासन की अव्यवस्था थी. मेला क्षेत्र में भारी भीड़ के कारण कई जगहों पर कांवरियों की 4-5 कतारें बन गईं, जिससे लाइन व्यवस्थित करने में कठिनाई हुई. देवघर में वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण यातायात व्यवस्था भी चरमरा गई. सुल्तानगंज से देवघर आने वाले मार्ग पर वाहनों की अधिकता से बॉर्डर पर ही वाहनों को रोकना पड़ा.

अक्रोशित कांवरियों ने की सड़कें जाम

आक्रोशित कांवरियों ने देवघर शहर के फव्वारा चौक, मोहनपुर और तीर नगर के पास सड़कें जाम कर दीं, जिससे यातायात पूरी तरह से ठप हो गया. सूचना मिलते ही एसपी और पुलिस फोर्स ने मौके पर पहुंचकर कांवरियों को समझा-बुझाकर जाम हटवाया.

प्रशासन 

श्रावणी मेले के दौरान कांवरियों की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा व्यापक प्रबंध किए गए थे, लेकिन भीड़ की अधिकता और यातायात की अव्यवस्था ने स्थिति को चुनौतीपूर्ण बना दिया. प्रशासन ने सभी श्रद्धालुओं से संयम बनाए रखने और मेला क्षेत्र में अनुशासन बनाए रखने की अपील की.

श्रावणी मेला का आयोजन

श्रावणी मेला का आयोजन हर साल लाखों भक्तों को देवघर की ओर आकर्षित करता है. श्रद्धालुओं की भीड़ और भक्ति के बीच प्रशासन की चुनौती होती है कि वे सभी की सुरक्षा और सुविधा सुनिश्चित करें. इस साल के अनुभव से सीख लेते हुए, प्रशासन अगले साल की तैयारी में सुधार करने के प्रयास करेगा.

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