Jharkhand: श्रावण का महीना भक्तों के लिए आस्था श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है। श्रावण के महीने में भक्तों का बड़ा सैलाब दूर-दूर से बाबा के दर्शन करने देवघर जाते है। बदन पर भगवा रंग के कपड़े, नंगे पैर और कंधे पर कावर लिए भोले की मस्ती के बीच कावर यात्रा में आपने कई लोगों को देखा होगा लेकिन इस बार का पवित्र सावन यात्रा पर कुछ ऐसे श्रद्धालु भी निकले है। जिन्होंने कंधे पर अपनी मां को बैठा रखा है। खगड़िया जिला के परवर्ती गांव निवासी रंजीत साह को लोग कलयुग के श्रवण कुमार के रूप में देख रहे है ।मां की तबीयत ठीक होने के बाद श्रवण कुमार की तरह बंहगी में माता को बैठाकर जलाभिषेक के लिए सुल्तानगंज से देवघर के लिए निकल पड़े।
कष्टों का निवारण है बाबा के दर्शन..
सुल्तानगंज उत्तरवाहिनी गंगा से जल लेकर भक्त बाबा के दर्शन के लिए देवघर की ओर कांवरियों के झुंड में बम भोले के जयकारा लगाते झूमते दर्शन को जाते है। इन कांवरियों में बिहार के खगड़िया के रहने वाले दो युवक भी है। जो कलयुग के श्रवण कुमार की तरह अपने माता को बाबा धाम की यात्रा के लिए लेकर जा रहे हैं। रंजीत साह अपने भतीजे के साथ अपनी मां द्रोपदी देवी को बाबा धाम तीर्थ यात्रा कराने के लिए कांवर में बिठाकर अपने कंधों पर लिए देवघर की ओर रवाना हो गए हैं।
बाबा की हुई कृपा मां की तबीयत हुई ठीक..
रंजीत का कहना है कि उनकी मां काफी बीमार थी। उन पर किसी भी प्रकार का दवा या इलाज का कोइ असर नहीं हो रहा था। उन्होंने बाबा भोलेनाथ को पुकारा उनकी पुकार सुन ली गई। मां ठीक हो गई ठीक होने के पश्चात रंजीत ने यह प्रण लिया था। मां को कावर में लेकर पैदल बाबा धाम के दर्शन करेंगे। और फिर मन में आस्था रखते हुए मां को बंहगी में बैठा कर भोले बाबा के दर्शन करने के लिए निकल पड़
रिश्तेदारों ने दिया साथ..
मां को बाबा धाम की यात्रा करवाने के लिए परिजनों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है। परिजनों ने खुशी व्यक्त करते हुए कहा कि यह बहुत ही पुण्य का कार्य है। मां अपने बच्चे को 9 महीने अपने गर्भ में पालती है उसका बोझ उठाते है। रंजीत में आज उस कर्ज को उतार दिया है।