राज्य सरकार द्वारा पिछले 10 सालों से सीक्रेट सर्विस फंड का नहीं दिया गया हिसाब..

राज्य सरकार की ओर से महालेखाकार को 10 साल के सीक्रेट सर्विस फंड (एसएस फंड) के खर्च का हिसाब नहीं दिया गया है। इस फंड का इस्तेमाल राज्य पुलिस गुप्त सूचनाएं जुटाने के लिए करती है।

दरअसल, पुलिस को गुप्त सूचना देने वालों के नाम और पता आदि सार्वजनिक नहीं हो, इसी को ध्यान में रखते हुए महालेखाकार को एसएस फंड के ऑडिट का अधिकार नहीं दिया गया है। ऐसे में गुप्त सेवा के नाम पर किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो, इसके मद्देनजर खर्च का प्रशासनिक ऑडिट करने का नियम है। प्रशासनिक ऑडिट के बाद महालेखाकार को सिर्फ एक प्रमाण पत्र दिया जाता है। जिसमें ये लिखा होता है कि एसएस फंड का खर्च सही व नियमानुसार किया गया है। नियम के अनुसार एक वित्तीय वर्ष के समाप्त होने के बाद दूसरे वित्तीय वर्ष के दौरान 31 अगस्त तक पहले खर्च हो चुके एसएस फंड के खर्च से संबंधित प्रमाण पत्र महालेखाकार को सौंप देना है।

आपको बता दें मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाता है जो एसएस फंड के खर्च की प्रशासनिक ऑडिट करती है। इसमें एडीजी स्पेशल ब्रांच की ओर से समिति के समक्ष खर्च का विस्तृत ब्यौरा पेश किया जाता है। समिति द्वारा संतुष्ट होने पर मुख्य सचिव के हस्ताक्षर से खर्च को सही करार देते हुए प्रमाण पत्र जारी किया जाता है।

2005-06 में सरकार ने बढ़ाई दी फंड की राशि

वित्तीय वर्ष 2005-06 के बजट में राज्य सरकार ने एसएस फंड में अचानक कई गुना बढ़ोतरी की थी। वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन भारी नकदी निकासी के बाद वित्तीय गड़बड़ी के आरोप लगाए गए थे। इसके बाद से राज्य में एसएस फंड का हिसाब समय पर नहीं देने का सिलसिला शुरू हो गया। काफी विवाद के बाद तत्कालीन मुख्य सचिव ने 2005-06 में एसएस फंड के खर्च की प्रशासनिक ऑडिट की। हालांकि उन्होंने प्रमाण पत्र देने से इनकार कर दिया।

2005-06 के बाद के वित्तीय वर्षों में एसएस फंड की राशि फिर कम कर दी गयी। 2005-06 से 2018-19 तक की अवधि में सरकार ने सिर्फ वित्तीय वर्ष 2006-07, 2009-10 और 2010-11 के खर्च का प्रमाण पत्र महालेखाकार को दिया। इस तरह पिछले 10 साल के दौरान एसएस फंड के खर्च का प्रमाण पत्र महालेखाकार को नहीं दिया गया।

एसएस फंड के बकाये हिसाब का ब्योरा
वित्तीय वर्ष खर्च राशि अफसर
2005-06 8.30 करोड़ पुलिस महानिदेशक

2007-08 4.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2008-09 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2012-13 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2013-14 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2014-15 2.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2015-16 3.00 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2016-17 3.10 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2017-18 3.50 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

2018-19 4.20 करोड़ एडीजी स्पेशल ब्रांच

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