रांची: झारखंड में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने कांग्रेस की ‘संविधान बचाओ रैली’ पर तीखा हमला किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस द्वारा संविधान की रक्षा की बातें करना ढोंग है, क्योंकि यही पार्टी सबसे अधिक बार संविधान के साथ छेड़छाड़ कर चुकी है।
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प्रदेश भाजपा कार्यालय में आयोजित प्रेसवार्ता में मरांडी ने कहा, “कांग्रेस ने अपने 60 साल के शासनकाल में 79 बार संविधान संशोधन किया, जिनमें अधिकांश संशोधन सत्ता बचाने और तुष्टिकरण की राजनीति के लिए थे।” उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने संविधान को कभी गंभीरता से नहीं लिया, बल्कि उसे एक घोषणापत्र की तरह इस्तेमाल किया।
मरांडी ने कहा कि संविधान लागू होने के कुछ ही समय बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने पहला संशोधन कराया, जिससे अनुच्छेद 19(1)(a) के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध लगाया गया। इससे प्रेस की आज़ादी भी प्रभावित हुई।
उन्होंने अनुच्छेद 35A को असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि इसे संसद में पारित कराने के बजाय राष्ट्रपति के आदेश से लागू किया गया, जो कि संवैधानिक प्रक्रिया का उल्लंघन था। मरांडी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि उसने संविधान और सत्ता दोनों को अपनी निजी संपत्ति समझा।
मरांडी ने यह भी कहा कि कांग्रेस ने बार-बार राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) का दुरुपयोग किया। “1966 से 1977 के बीच हुए 25 संशोधन इसका प्रमाण हैं,” उन्होंने कहा। साथ ही सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक निर्णयों — जैसे गोलकनाथ केस और केशवानंद भारती केस — के खिलाफ कांग्रेस की कार्यवाहियों को न्यायपालिका में हस्तक्षेप बताया।
उन्होंने इंदिरा गांधी द्वारा ए.एन. रे को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त करने, 42वें संविधान संशोधन को ‘मिनी संविधान’ कहे जाने और प्रस्तावना में ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष’ शब्द जोड़ने को जनविरोधी बताया।
राजीव गांधी सरकार के समय शाहबानो केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने को लेकर भी मरांडी ने कांग्रेस को आड़े हाथों लिया। इसे उन्होंने अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन बताया।
राहुल गांधी द्वारा संसद में कैबिनेट पेपर फाड़ने की घटना को उन्होंने लोकतांत्रिक संस्थाओं और संसद की गरिमा का अपमान बताया। इसके अलावा, कांग्रेस नेताओं द्वारा ईडी और न्यायपालिका पर की गई टिप्पणियों को भी मरांडी ने संविधान विरोधी बताया।
उन्होंने कांग्रेस और उसके सहयोगियों पर शरीयत को संविधान से ऊपर रखने जैसी मानसिकता फैलाने का आरोप लगाया। मुस्लिम आरक्षण को लेकर सच्चर और रंगनाथ मिश्रा आयोग की सिफारिशों को भी उन्होंने सामाजिक न्याय के खिलाफ साज़िश बताया।
प्रेसवार्ता के अंत में बाबूलाल मरांडी ने मांग की कि कांग्रेस को अपने संविधान विरोधी इतिहास के लिए देश से माफी मांगनी चाहिए। इस अवसर पर भाजपा प्रवक्ता राफिया नाज और योगेंद्र प्रताप सिंह भी उपस्थित थे।