बेंगलुरु, 14वें बेंगलुरु इंटरनेशनल शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल (BISFF) की स्वर्णिम संस्था में संताली भाषा में बनी लघु फिल्म ‘आंगेन’ ने अपनी एंट्री के जरिए सिनेमा की दुनिया में बड़ी उपलब्धि हासिल की है. यह फिल्म बेंगलुरु में 8 से 15 अगस्त 2024 के बीच आयोजित होने वाले इस प्रतिष्ठित फिल्म महोत्सव में अपने अद्वितीय कहानी और संवेदनशीलता से प्रशंसा पाएगी.
‘आंगेन’: एक महत्वपूर्ण कदम आदिवासी सिनेमा की दुनिया में
‘आंगेन’ एक 12 मिनट की लघु फिल्म है जिसे निर्माता-निर्देशक रविराज मुर्मू ने बनाया है. इस फिल्म में संताली भाषा में अपनी कहानी का जादू बिखेरते हुए, रविराज ने आदिवासी समुदाय के जीवन, उनकी संस्कृति, और लोककथाओं को माध्यम बनाकर उनकी महत्वपूर्णता को साझा किया है. फिल्म की स्क्रीनप्ले, संगीत, और संगीतिक दृष्टिकोण के लिए लोकगायक और संगीतकार दुर्गाप्रसाद मुर्मू ने महत्वपूर्ण योगदान दिया है. इस फिल्म में उन्होंने संताली संस्कृति के गहरे पहलुओं को उजागर किया है, जो दर्शकों को आदिवासी जीवन की अनूठी प्रेरणा प्रदान करती हैं.
शूटिंग: आदिवासी बहुल गांवों में रंगी ‘आंगेन’
‘आंगेन’ की शूटिंग जमशेदपुर के पास स्थित आदिवासी गांवों में हुई है, जैसे कि करनडीह, तुरामडीह, छोलागोड़ा, और किनुटोला. इन गांवों की सुंदरता और अपनी अनूठी परंपराओं से प्रेरित, रविराज मुर्मू ने फिल्म को एक सच्ची आदिवासी अनुभव के रूप में शूट किया है. इस फिल्म में रामचंद्र मार्डी, सलोनी, जीतराय, और फूलमनी जैसे अभिनेताओं ने अपनी अद्वितीय अभिनय के माध्यम से फिल्म को जीवंत बनाया है.
सांस्कृतिक विरासत: ‘आंगेन’ की अद्वितीयता
रविराज मुर्मू ने बताया कि ‘आंगेन’ जैसी फिल्मों में उन्होंने अपनी आदिवासी सांस्कृतिक विरासत को प्रस्तुत करने का प्रयास किया है. इस फिल्म के माध्यम से वह सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक सामूहिक यात्राओं की महत्वपूर्ण यात्रा को समझने की प्रेरणा देते हैं. फिल्म ‘आंगेन’ ने दर्शकों को अपनी अनूठी कहानी के माध्यम से संताली लोककथाओं की वास्तविकता और उनके गहरे सन्देशों से परिचित कराया है.
कहानी: धरती और देव लोक की आदिवासी कथा
‘आंगेन’ की कहानी धरती और देव लोक की एक अद्वितीय आदिवासी लोककथा पर आधारित है. इस कहानी में एक साधारण चरवाहे की जिंदगी का चित्रण किया गया है.