खरसावां गोलीकांड की 77वीं बरसी पर शहीदों को नमन, मुख्यमंत्री ने प्रेरणा स्थल बनाने का लिया संकल्प…..

खरसावां गोलीकांड की 77वीं बरसी पर बुधवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपनी पत्नी और विधायक कल्पना सोरेन के साथ खरसावां शहीद स्थल पहुंचे. मुख्यमंत्री ने शहीद वेदी पर आदिवासी परंपरा के अनुसार श्रद्धांजलि अर्पित की. उन्होंने कहा कि शहीद स्थल पर आकर पूर्वजों की शहादत को याद करना उन्हें सुकून देता है. यही वह स्थान है, जहां से आदिवासी समुदाय को अपने संघर्ष की प्रेरणा मिलती है. मुख्यमंत्री ने इस स्थान को आदिवासियों का प्रेरणा स्थल बनाने का संकल्प दोहराया.

आदिवासी समाज का संघर्ष और गर्व का इतिहास

मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समाज के संघर्षों का इतिहास सदियों पुराना है. यह समाज दुनिया का सबसे गरीब, पिछड़ा और आर्थिक, शैक्षणिक व राजनीतिक रूप से कमजोर है. बावजूद इसके, यह समाज अपने अधिकारों और अस्तित्व के लिए निरंतर संघर्ष कर रहा है. उन्होंने गर्व व्यक्त करते हुए कहा कि साल के पहले दिन यहां आदिवासी-मूलवासी समाज के लोग बड़े पैमाने पर इकट्ठा होकर अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देते हैं. उन्होंने आदिवासी समाज के प्रकृति से जुड़े रहने की परंपरा का उल्लेख करते हुए कहा कि अगर आज विश्व ने आदिवासी समुदाय का अनुसरण किया होता, तो शायद प्राकृतिक आपदाएं इतनी भयंकर न होतीं. मुख्यमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि खरसावां गोलीकांड जैसे ऐतिहासिक घटनाक्रम से हमें अपने संघर्ष को जारी रखने की प्रेरणा मिलती है.

शहीदों को उचित सम्मान देने का आश्वासन

मुख्यमंत्री ने कहा कि उनकी सरकार ने गुआ गोलीकांड के शहीदों को चिह्नित कर उनके परिवारों को नियुक्ति पत्र सौंपा है. खरसावां गोलीकांड के शहीदों और उनके वंशजों को भी उचित सम्मान देने का काम जल्द ही किया जाएगा. उन्होंने आश्वस्त किया कि इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है. उन्होंने मंईयां सम्मान योजना पर बोलते हुए कहा कि सरकार जल्द ही इस योजना के लाभार्थियों तक सहायता पहुंचाएगी. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर सरायकेला-खरसावां के उपायुक्त रविशंकर शुक्ला से खरसावां शहीद पार्क को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के प्रगति की जानकारी भी ली.

अलग राज्य के आंदोलन की शुरुआत खरसावां से

चक्रधरपुर के विधायक सुखराम उरांव ने इस मौके पर कहा कि झारखंड का इतिहास खरसावां शहीद स्थल से जुड़ा हुआ है. यहीं से अलग राज्य के लिए आंदोलन का बिगुल फूंका गया था. खरसावां की यह धरती झारखंड के लिए प्रेरणा और गर्व का स्थान है.

नेताओं ने अर्पित की श्रद्धांजलि

इस अवसर पर परिवहन मंत्री दीपक बिरुवा, स्कूली शिक्षा और साक्षरता मंत्री रामदास सोरेन, पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा, सांसद जोबा मांझी, सांसद कालीचरण मुंडा, विधायक सविता महतो, दशरथ गागराई, और विधायक जगत मांझी समेत कई अन्य नेताओं ने भी शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

खरसावां शहीद स्थल को प्रेरणा और पर्यटन स्थल बनाने का प्रयास

मुख्यमंत्री ने खरसावां शहीद स्थल को न केवल प्रेरणा स्थल, बल्कि एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की योजना का उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि यह स्थल आने वाली पीढ़ियों को आदिवासी समाज के संघर्ष और बलिदान की कहानी सुनाएगा.

खरसावां गोलीकांड का ऐतिहासिक महत्व

खरसावां गोलीकांड, आदिवासी समाज के संघर्ष का प्रतीक है. इस घटना में शहीद हुए लोगों की शहादत ने झारखंड आंदोलन को एक नई दिशा दी. मुख्यमंत्री ने कहा कि खरसावां शहीद स्थल को संरक्षित कर इसे राज्य और देश का एक प्रमुख स्थल बनाया जाएगा.

समाज के लिए प्रेरणा का स्रोत

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शहीद स्थल से लौटते हुए कहा कि यह स्थान आदिवासी समाज के संघर्ष का प्रतीक है और इसे प्रेरणा स्थल के रूप में विकसित कर हम अपने पूर्वजों के बलिदान को हमेशा याद रखेंगे.

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