सेल का खाली क्वार्टर ध्वस्त, मलबे में दबने से 12 साल के बच्चे की मौत..
गढ़वा जिले में सेल के स्थानीय टाउनशिप में खाली पड़ा न्यू सीडी टाइप आवास शनिवार को ध्वस्त होने से 12 साल के एक बच्चे की मौत हो गई। मृतक की पहचान थाना क्षेत्र के अरसली उत्तरी निवासी अजीत कुमार के रूप में हुई है। हादसे में तीन अन्य लोग घायल हो गए जिनमें दो बच्चे हैं। मृतक का नाम अजीत कुमार 12 वर्ष पिता स्व सरजू डोम अरसली उतरी तथा घायलों में दिलीप कुमार यादव 45 वर्ष, शनि कुमार 10 वर्ष रिशु कुमार 8 वर्ष दोनों पिता कइल डोम के नाम शामिल है। सभी घायलों को भवनाथपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के लिए पुलिस के द्वारा 108 से भेजा गया जहां प्राथमिक उपचार के बाद दिलीप कुमार यादव को गढ़वा रेफर किया गया है। जबकि मृतक अजित कुमार के स्व को पोस्टमार्टम के लिए गढ़वा भेजा गया।
घटना की सूचना मिलने पर श्री बंशीधर एसडीपीओ प्रमोद केसरी, सीओ रामशंकर श्रीवास्तव, बीडीओ मुकेश मछुवा, थाना के एसआई कुन्दन यादव, सहदेव साह फिलिप्स टोपनो सीआईएसएफ के जवान पहुंचे और दबे घायलों को निकालने के प्रयास में लगे। जहां स्थानीय ग्रामीण अजय शोणि, अखबार विक्रेता ध्रुव दुबे, शिक्षक दिवाकर चौधरी सहित लोगों के प्रयास से रॉड ईंट हटाकर निकाला गया। वहीं मृतक का शव घंटाें बाद जेसीबी लेट से मिलने के कारण निकाला गया।
शराब और चोरी की लत से हुआ हादसा..
टाउनशिप के आवासीय परिसर के जर्जर भवन से ईट व छड़ चोरी करने में एक मासूम की मौत व दो बच्चे के घायल होने का असली गुनाहगार दिलीप यादव है। जाे चोरी के लिए बच्चों को साथ लेकर जर्जर आवास में गया। दिलीप यादव सेल के जर्जर आवास से ईट व छड़ चोरी करता था। पिछले दिनों चोरी के ही मामले में जेल से बाहर आया था। आज पहले शराब पिया फिर बच्चों को ले गया। शराब के नशे में दिलीप उक्त जर्जर आवास के छत को सबल से तोड़कर लोहे का छड़ निकालने का प्रयास कर रहा था और बच्चे उस छत के नीचे खड़े थे तभी अचानक छत सहित दिलीप नीचे आ गया और बच्चे मलबे में दब गए। शुक्र रहा कि दाे बच्चे किसी तरह से मलबे से बाहर खुद निकलने में कामयाब हो गए, जो घायल तो हुए पर उनकी जान बच गई। मगर तीसरा बच्चा मलबे की ढेर में पूरी तरह से दब जाने के कारण बाहर नहीं निकल पाया। घटनास्थल पर राहत व बचाव कार्य में भी काफी विलंब शुरू हुआ।
देर से पहुंची जेसीबी मशीन..
करीब 1 घंटे के बाद जेसीबी पहुंची व मलबे को हटाया। तबतक बच्चे की जान जा चुकी थी। सतर्कता नहीं बरती गई तो सेल के अधिकारियों की लापरवाही से फिर हो सकता है हादसा। दरअसल 1985 के दशक में सेल कर्मचारियों के रहने के लिए लगभग अरबों रुपए की लागत से 30 बिल्डिंग एक बिल्डिंग में डबल बेड आठ यूनिट का निर्माण कराया गया था, जो लगभग पूर्ण भी हो गया, परन्तु वर्ष 1990 में सेल का क्रशर प्लांट बन्द होने के बाद यहां से कर्मचारियों का स्थानांतरण व वीआरएस का दौर प्रारम्भ हो गया। जिसके बाद उक्त खाली आवासों में अवैध रूप से लोगों ने कब्जा जमाना शुरू कर दिया।
बिल्डिंग को ठेकेदार से सेल नहीं लिया था हैंडओवर..
सेल ने जिस संवेदक को बिल्डिंग बनाने का कार्य साैंपा था। उससे हैंड ओवर सेल ने नहीं लिया था। जिसके कारण धीरे-धीरे उक्त बिल्डिंग से चोरों ने खिड़की दरवाजा के साथ-साथ ईंट व छड़ निकाल कर चोरी छिपे बेचने लगे। जिसमें सेल चोरी रोकने में नाकामयाब रही जिसके कारण सभी 30 बिल्डिंग में मात्र अभी आठ बची हैं जो बदतर हो गई हैं। उसी बची बिल्डिंग में ईंट-छड़ चुराने के क्रम में घटना घटी। परन्तु लोगों की माने तो सेल के पास लगभग 80 लोगों के सीआईएसएफ की टीम सुरक्षा में लगी है, जिन पर सलाना करोड़ों रुपए सेल खर्च करती है। जो लगातार चोरी की घटना को रोकने में असमर्थ तो रही है, परन्तु इतनी बड़ी घटना घटने के बाद जहां हजारों की संख्या में ग्रामीण व जनप्रतिनिधि पहुंचे, परन्तु दो घण्टे घटना के बीतने के बावजूद मानवता के नाते भी महज एक किलोमीटर की दूरी में नहीं।