झारखंड विधानसभा में ‘रुपया मंत्री’ टिप्पणी पर हंगामा, भाजपा विधायकों ने किया वॉकआउट…..

झारखंड विधानसभा के बजट सत्र में सोमवार को जमकर हंगामा हुआ. वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर को ‘रुपया मंत्री’ कहे जाने पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में तीखी बहस हुई. भाजपा विधायकों ने वित्त मंत्री पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और सदन से वॉकआउट कर दिया. वहीं, सत्ता पक्ष की ओर से भाजपा विधायकों पर ‘सड़क छाप भाषा’ के इस्तेमाल का आरोप लगाया गया.

वित्त मंत्री को ‘रुपया मंत्री’ कहे जाने पर मचा बवाल

बजट सत्र के दौरान राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पथ निर्माण विभाग और परिवहन विभाग के बजट को मंजूरी दी गई. इस पर चर्चा के दौरान भाजपा विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने अंचल कार्यालय में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया और आरोप लगाया कि बिना पैसे कोई काम नहीं होता. उन्होंने कहा कि “पथ निर्माण विभाग भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है. उन्होंने विभागीय सचिव पर संवेदकों के साथ मिलकर घोटाले का आरोप भी लगाया. उनके इस बयान पर सत्ता पक्ष ने आपत्ति जताई और मंत्री इरफान अंसारी ने कहा कि बिना सबूत के किसी अधिकारी पर आरोप लगाना गलत है. इस पर सत्येंद्रनाथ तिवारी ने वित्त मंत्री राधाकृष्ण किशोर को ‘रुपया मंत्री’ कह दिया. जैसे ही यह टिप्पणी सदन में गूंजी, सत्ता पक्ष के विधायक भड़क गए और हंगामा करने लगे.

दीपिका पांडेय सिंह ने भाजपा विधायकों पर लगाया ‘सड़क छाप भाषा’ इस्तेमाल करने का आरोप

सत्ता पक्ष की मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने भाजपा विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा, “भाजपा विधायक सड़क छाप भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं. यह संसदीय मर्यादा के खिलाफ है. “उन्होंने स्पीकर से मांग की कि इस टिप्पणी को सदन की कार्यवाही से हटाया जाए. उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि “रुपया मंत्री क्या होता है?”

भाजपा विधायकों ने किया वॉकआउट, सदन में गरमाया माहौल

सदन में बढ़ते हंगामे को देखते हुए स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने बीच-बचाव करने की कोशिश की, लेकिन भाजपा के सभी विधायक विरोध करते हुए सदन से बाहर चले गए. इस दौरान नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने सरकार से सवाल किया कि जिन अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं, उनकी जांच क्यों नहीं की जा रही? उन्होंने पथ निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार का जिक्र करते हुए कहा कि “जब वह हजारीबाग के उपायुक्त थे, तब उन्होंने एनटीपीसी के एक अधिकारी के साथ मारपीट की थी और मानवाधिकार आयोग ने उन पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था. “बाबूलाल मरांडी ने सरकार से पूछा कि “क्या सचिव ने यह जुर्माना भरा या नहीं?”

सदन में जमकर हुआ हंगामा, स्पीकर को करनी पड़ी दखलअंदाजी

भाजपा विधायक राजेश कच्छप ने ‘रुपया मंत्री’ शब्द को सदन की कार्यवाही से हटाने की मांग की, लेकिन विधायक सत्येंद्रनाथ तिवारी ने इसे असंसदीय भाषा मानने से इनकार कर दिया. इस पर स्पीकर ने मामले की समीक्षा करने की बात कही. इसी बीच, जब स्पीकर ने राजेश कच्छप को अपना पक्ष रखने को कहा तो सत्येंद्रनाथ तिवारी ने यह कहते हुए विरोध किया कि “उनका समय अभी बचा है. “लेकिन जब स्पीकर ने उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी, तो उन्होंने आसन के सामने आकर हंगामा शुरू कर दिया.

भाजपा विधायकों ने सदन में फेंके कागजात, फिर किया वॉकआउट

इस बीच भाजपा विधायक नवीन जायसवाल भी आसन के सामने आ गए और सत्येंद्रनाथ तिवारी को बोलने देने की मांग की. लेकिन जब उन्हें समय नहीं दिया गया, तो सत्येंद्रनाथ तिवारी ने गुस्से में कागजात फेंक दिए और भाजपा के सभी विधायक सदन से बाहर निकल गए.

विपक्ष ने दी आंदोलन की चेतावनी

भाजपा विधायकों ने सदन से बाहर आकर कहा कि “राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर जवाब देने से बच रही है और सत्ता पक्ष विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास कर रहा है. “उन्होंने चेतावनी दी कि अगर सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम नहीं उठाती है, तो वे सड़कों पर उतरकर आंदोलन करेंगे.”

सरकार ने विपक्ष के आरोपों को बताया बेबुनियाद

वहीं, सत्ता पक्ष के मंत्री इरफान अंसारी ने विपक्ष के आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि “भाजपा सिर्फ हंगामा करना चाहती है. सरकार की छवि खराब करने के लिए बेबुनियाद आरोप लगाए जा रहे हैं.”

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