झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के 13वें दिन सदन में एक अप्रत्याशित घटना घटी, जब पांकी विधानसभा क्षेत्र के विधायक कुशवाहा शशिभूषण मेहता ने भरी सभा में अपना प्रश्न लिखित पेपर फाड़कर फेंक दिया. यही नहीं, उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष (स्पीकर) रवींद्रनाथ महतो पर पक्षपात करने का भी आरोप लगाया. इस घटना के बाद सदन में माहौल गरमा गया और पक्ष-विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक देखने को मिली.
विधानसभा में अचानक बढ़ा तनाव
बुधवार को जैसे ही प्रश्नकाल के दौरान विधायक शशिभूषण मेहता ने अपना सवाल पढ़ना शुरू किया, कुछ सेकंड के लिए वे रुके. इस पर स्पीकर ने कहा कि उनका प्रश्न ले लिया गया है और आगे बढ़ने का निर्देश दिया. लेकिन विधायक इससे संतुष्ट नहीं हुए और नाराजगी जाहिर करने लगे. उनका कहना था कि जब उन्हें सवाल पूरा पढ़ने का मौका ही नहीं दिया जा रहा, तो फिर 12 बजे से सदन में बैठने का क्या फायदा? विधायक की इस टिप्पणी के बाद सदन में माहौल गर्माने लगा. स्पीकर रवींद्रनाथ महतो ने विधायक की नाराजगी पर प्रतिक्रिया देते हुए तंज कसा और कहा कि “अगर और कोई आरोप लगाने हैं तो लगा दीजिए. “इस पर विधायक और अधिक आक्रोशित हो गए और उन्होंने हाथ में पकड़ा प्रश्न पत्र फाड़कर फेंक दिया.
विधायक के आक्रोश से भड़का विवाद
जैसे ही विधायक ने पेपर फाड़ा और गुस्से में कहा “नहीं पढ़ेंगे”, सदन में मौजूद अन्य सदस्यों ने उन्हें शांत करने की कोशिश की. कई सदस्यों ने उनसे आग्रह किया कि वे अपना प्रश्न पूरा करें, लेकिन उन्होंने किसी की बात नहीं सुनी और गुस्से में अपना स्थान छोड़ दिया. इस घटना से विधानसभा अध्यक्ष भी आहत हुए और उन्होंने कहा कि “आपका आचरण उचित नहीं है. “इस पर भी विधायक का गुस्सा शांत नहीं हुआ. विधानसभा की कार्यवाही को सुचारू रूप से चलाने के लिए स्पीकर ने कुछ देर तक माहौल को संभालने की कोशिश की, लेकिन इस दौरान पक्ष-विपक्ष के नेताओं के बीच भी तीखी बहस शुरू हो गई.
नेता प्रतिपक्ष का बयान और विपक्ष की प्रतिक्रिया
इस पूरे घटनाक्रम पर झारखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बाबूलाल मरांडी ने भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने कहा कि “थोड़ी गलती हुई है.” हालांकि, उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि गलती किसकी थी, लेकिन उनकी इस टिप्पणी से यह संकेत मिला कि सदन में ऐसी घटनाएं नहीं होनी चाहिए. वहीं, विपक्ष के अन्य नेताओं ने इस घटना को लेकर अलग-अलग प्रतिक्रियाएं दीं. कुछ ने इसे विधायक की स्वाभाविक प्रतिक्रिया बताया, जबकि कुछ ने कहा कि विधानसभा जैसी गरिमामयी जगह पर इस तरह का आचरण उचित नहीं है.
विधानसभा में हंगामे के पीछे क्या था असल मुद्दा?
जानकारों का कहना है कि विधानसभा सत्र में कई विधायकों को उनके सवाल ठीक से रखने का पूरा मौका नहीं मिल पाता, जिससे वे असंतुष्ट हो जाते हैं. विधायक शशिभूषण मेहता भी इसी तरह की असंतुष्टि के कारण नाराज हुए और उन्होंने विरोध स्वरूप पेपर फाड़ दिया. हालांकि, विधानसभा अध्यक्ष का यह भी कहना था कि सभी सदस्यों को अपनी बात कहने का पूरा अवसर मिलता है, लेकिन सत्र की समय सीमा को ध्यान में रखते हुए कार्यवाही को आगे बढ़ाना भी जरूरी होता है.
क्या कहते हैं संसदीय मर्यादा के नियम?
संसदीय नियमों के अनुसार, किसी भी विधायक को अपने सवाल रखने और बहस में भाग लेने का पूरा हक है, लेकिन उसे मर्यादा और गरिमा बनाए रखनी होती है. इस मामले में विशेषज्ञों का कहना है कि प्रश्न पूछने के अधिकार को बनाए रखना जरूरी है, लेकिन इसके लिए विरोध के उचित तरीके अपनाने चाहिए. पेपर फाड़ना और गुस्से में सदन से बाहर जाना संसदीय मर्यादा के खिलाफ माना जाता है.