रांची अब एक छोटे शहर की सीमा से निकलकर महानगर बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रही है. पहले जो रांची केवल 4 किलोमीटर के दायरे में सिमटी हुई थी, अब उसका फैलाव 16 किलोमीटर तक पहुंच चुका है. इसका सबसे बड़ा कारण है शहर के चारों ओर बना रिंग रोड, जिसने विकास के नए द्वार खोल दिए हैं. रिंग रोड बनने के बाद न सिर्फ आवासीय कॉलोनियों की संख्या बढ़ी है, बल्कि व्यावसायिक इमारतों का भी तेजी से निर्माण हो रहा है. इस क्षेत्र में अब तक 200 से अधिक नए मोहल्ले बस चुके हैं, जहां करीब चार लाख की आबादी निवास कर रही है.
शहर का फैलाव और बढ़ते मोहल्ले
रांची के कई हिस्सों में जैसे हुलहंडू, तुपुदाना, नामकुम, कांटाटोली, बूटी मोड़, रामपुर, बीआईटी, जुमार, दलादली, हटिया और नयासराय के आसपास नए मोहल्लों और कॉलोनियों का निर्माण हो रहा है. महुआटोली, सपारोम, जेवियर नगर, रोहतास नगर, लक्ष्मी नगर, जोजो नगर, नावो नगर, अलकमर, गायत्री नगर, शिवनगर जैसे मोहल्लों का तेजी से विकास हुआ है. ये सभी इलाके अब शहरी स्वरूप ले चुके हैं.
रिंग रोड बना नया बिजनेस हब
रिंग रोड के आसपास होटल, हॉस्टल, बड़े स्कूल, शिक्षण संस्थान, बैंक की शाखाएं, अस्पताल, मॉल, बैंक्वेट हॉल और बार जैसे व्यावसायिक केंद्र खुल रहे हैं. इसके अलावा कई जगहों पर रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप, सीमेंट मिक्सिंग प्लांट, सोयाबीन फैक्ट्री, वेयरहाउस और सेक्शन पाइप फैक्ट्री भी स्थापित हो चुके हैं. इन सबके चलते यह इलाका अब निवेश के लिए बेहद मुफीद बन चुका है.
बुनियादी सुविधाओं की भारी कमी
हालांकि, इतनी तेजी से हो रहे विकास के बीच बुनियादी सुविधाएं पीछे छूट रही हैं. कई नई कॉलोनियों में सड़कें अब भी कच्ची और जर्जर हालत में हैं. नालियों की समुचित व्यवस्था नहीं है जिससे गंदगी फैल रही है. पेयजल की व्यवस्था बेहद खराब है, गर्मियों में पानी की किल्लत आम हो गई है. स्ट्रीट लाइट की भी भारी कमी है जिससे रात में अंधेरे के कारण चोरी जैसी घटनाएं बढ़ रही हैं. कई इलाकों में पेयजल के पाइप तक नहीं बिछे हैं.
रेलवे ओवरब्रिज का कार्य भी अधूरा
नयासराय से रिंग रोड तक बन रहे रेलवे ओवरब्रिज का काम भी लंबे समय से रुका हुआ है. इसके चलते उस क्षेत्र की सड़कें पूरी तरह से कच्ची हो चुकी हैं और लोगों को आने-जाने में भारी परेशानी हो रही है.
स्थानीय लोगों की शिकायतें
स्थानीय निवासी मो. शेखावत अंसारी बताते हैं कि पहले लोग खपरैल मकानों में रहते थे और कुओं से पानी की सुविधा मिल जाती थी. लेकिन अब पानी की समस्या गंभीर होती जा रही है. अरशद अंसारी कहते हैं कि सपारोम में नालियों और सड़कों की हालत बेहद खराब है. वहीं, राजेश कुमार का कहना है कि बिरसा नगर जैसे इलाकों में स्ट्रीट लाइट की भारी कमी है, जिससे अंधेरे में चोरी जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं. अभय सिंह कहते हैं कि आबादी तो तेजी से बढ़ रही है लेकिन स्कूलों की संख्या में वृद्धि नहीं हो रही है.
समस्याओं का समाधान
स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि इन समस्याओं को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाए. नई कॉलोनियों में स्कूल खोले जाएं, सड़कों को दुरुस्त किया जाए, पेयजल की समुचित व्यवस्था की जाए, नालियों का निर्माण हो और हर सड़क पर स्ट्रीट लाइट लगाई जाए. तभी रिंग रोड के इर्द-गिर्द का यह तेजी से विकसित हो रहा क्षेत्र वास्तव में एक आदर्श शहरी मॉडल बन सकेगा. रिंग रोड ने जहां रांची को महानगर की दिशा में अग्रसर किया है, वहीं सरकार और नगर निगम की जिम्मेदारी बनती है कि वे इस क्षेत्र के बुनियादी विकास पर विशेष ध्यान दें, ताकि यह केवल इमारतों का विस्तार न रहकर एक संपूर्ण और सुव्यवस्थित शहर बन सके.