रांची: रिम्स बनेगा रासायनिक, परमाणु और जैविक हमलों से निपटने का केंद्र..

राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (रिम्स), झारखंड का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है जिसे जल्द ही रासायनिक, परमाणु और जैविक (सीबीआरएन) हमलों से निबटने के लिए तैयार किया जा रहा है. यह एक महत्वपूर्ण कदम है जिसे भारत सरकार ने प्राथमिकता के आधार पर शुरू किया है. बता दें कि इस प्रोजेक्ट पर कुल 150 करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है और इसे अगले तीन सालों में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.

लेवल-2 सीबीआरएन सेंटर का निर्माण
भारत सरकार ने झारखंड में सेकेंड्री लेवल केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल एंड न्यूक्लियर (लेवल-2 सीबीआरएन) सेंटर बनाने का प्रस्ताव तैयार किया है. इस सेंटर में रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु घटनाओं या हमलों के संपर्क में आए लोगों का इलाज किया जाएगा. जहां इस सेंटर का मुख्य उद्देश्य आपातकालीन स्थितियों में लोगों की जान बचाना और उनकी चिकित्सा जरूरतों को पूरा करना है.

निर्माण में लगने वाला खर्च
लेवल-2 सीबीआरएन सेंटर के निर्माण पर अनुमानित खर्च 150 करोड़ रुपए है. झारखंड सरकार ने एक साल पहले ही रिम्स में सीबीआरएन सेंटर बनाने का प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा था, जिसे अब स्वीकृति मिल गई है. यह सेंटर झारखंड में उन्नत सुविधाओं वाला पहला सेंटर होगा.

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र और अन्य संस्थानों का सहयोग
यह परियोजना केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की मिनी रत्न कंपनी एचएलएल इंफ्राटेक सर्विसेज लिमिटेड (एचएलएल-आईटीईएस), रक्षा मंत्रालय, परमाणु ऊर्जा विभाग और भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र के विशेषज्ञों के परामर्श से तैयार की गई है. इन संगठनों के सहयोग से इस सेंटर को अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से लैस किया जाएगा.

झारखंड का पहला उन्नत सुविधा वाला सेंटर
इससे पहले हरियाणा के झज्जर में स्थित एम्स और चेन्नई के स्टेनली मेडिकल कॉलेज परिसर में लेवल-1 के दो सीबीआरएन सेंटर स्थापित किए जा चुके हैं. बता दें कि रिम्स में प्रस्तावित लेवल-2 का सीबीआरएन सेंटर झारखंड का पहला उन्नत सुविधाओं वाला सेंटर होगा, जो विभिन्न आपातकालीन स्थितियों में सहायता प्रदान करेगा.

भोपाल गैस त्रासदी और अन्य औद्योगिक दुर्घटनाओं से मिल सकेगी मदद
यह सेंटर भोपाल गैस त्रासदी, विशाखापत्तनम एचपीसीएल रिफाइनरी विस्फोट, तुगलकाबाद गैस रिसाव, कानपुर अमोनिया गैस रिसाव और अन्य औद्योगिक दुर्घटनाओं से उत्पन्न चिकित्सा परस्थितियों, युद्ध या फिर आतंकवादी कार्रवाई जैसी आपात स्थितियों का प्रबंधन करने में सक्षम होगा. यह सेंटर इन स्थितियों में त्वरित और प्रभावी चिकित्सा सहायता प्रदान करेगा.

महामारी से पीड़ित रोगियों के उपचार में भी होगी सहायता
झारखंड एक खनिज आधारित औद्योगिक केंद्र है, जहां अक्सर औद्योगिक और खननवाले क्षेत्रों में दुर्घटनाएं होती रहती हैं. इस सेंटर के बनने से इन दुर्घटनाओं से उत्पन्न चिकित्सा स्थितियों का भी समुचित प्रबंधन हो सकेगा. इसके अलावा, यह सेंटर महामारी से पीड़ित रोगियों के उपचार में भी सहायक होगा.

गंभीर लक्षणों के उपचार की सुविधा
यह सेंटर परमाणु विस्फोट से उत्पन्न रेडिएशन से स्वास्थ्य को प्रभावित करनेवाले संक्रमण या बीमारी पैदा करने वाले जैविक और जहरीले रसायनों की विषाक्तता से जुड़े उपचार की सुविधाएं प्रदान करेगा. इस सेंटर में अत्याधुनिक चिकित्सा उपकरण और विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम होगी, जो गंभीर लक्षणों वाले रोगियों का इलाज करेगी.

सेना की स्पेशल कोर और सिविल क्षेत्र में इसका महत्व
सेना में रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु खतरों से निबटने के लिए एक उच्च प्रशिक्षित कोर टीम होती है. यह टीम इन खतरों से जुड़ी गतिविधियों को कमांड, निर्देशित और नियंत्रित करती है. इसी तर्ज पर सिविल क्षेत्र में रिम्स का यह सेंटर विकसित किया जा रहा है, जो नागरिकों की सुरक्षा और स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा.

सुविधाओं का जायजा लेने आ रही टीम
आरओएचएफडब्ल्यू के वरिष्ठ क्षेत्रीय निदेशक डॉ. कैलाश कुमार के नेतृत्व में अधिकारियों की एक टीम तीन जुलाई को झारखंड पहुंची. जहां यह टीम छह जुलाई तक रिम्स के ट्रॉमा सेंटर, न्यूरो, ब्लड बैंक, कैजुअल्टी और सेंट्रल इमरजेंसी वॉर्ड का दौरा करेगी और यहां की सुविधाओं का आकलन करेगी. इसके बाद टीम एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर केंद्र सरकार को सौंपेगी, जिसमें सेंटर की वर्तमान स्थिति और भविष्य की आवश्यकताओं का विवरण रहेगा.

 

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