झारखंड में मॉब लिंचिंग की घटनाओं के रोकथाम के लिए राज्य सरकार द्वारा सख्त कदम उठाये जाने की तैयारी है। मुख्यमंत्री ने इस दिशा में पहल की है। सूत्रों के मुताबिक शीघ्र ही राज्य सरकार के गृह विभाग की तरफ से इस संबंध में सभी उपायुक्तों को निर्देश दिए जाएंगे। उन्मादी भीड़ हिंसा के पर्यवेक्षण के लिए उपायुक्त की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया जाएगा। कमेटी के अधिकारी पीड़ितों के इलाज से ले कर दोषियों को सज़ा दिलाने तक अहम भूमिका निभाएंगे।
प्राप्त जानकारी के अनुसार विधानसभा के बजट सत्र के दौरान राज्य सरकार द्वारा मॉब लिंचिंग से संबंधित कानून लाकर सदन में पारित कराया जा सकता है। ज़ाहिर है मुख्यमंत्री ने पिछले कुछ दिनों में मॉब लिंचिंग की घटनाओं को काफी गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री का मानना है कि इस तरह की घटनाओं से राज्य का दामन दागदार हुआ है।
ज्ञात हो कि एक सप्ताह के अंदर रांची में मॉब लिंचिंग की दो घटनाएं हुई हैं जिनमे सचिन वर्मा और मुबारक हुसैन की उन्मादी भीड़ ने बेरहमी से हत्या कर दी। इससे ये साबित हुआ कि लोगों के मन में कानून का भय नही रहा और उन्मादी कानून को अपने हाथ में लेने से नही डरते। गौरतलब है कि सरायकेला-खरसावां जिले में वर्ष 2019 में तबरेज़ अंसारी नामक युवक की उन्मादी भीड़ ने हत्या कर दी थी जिसके परिणामस्वरूप देश-दुनिया में जमकर झारखंड की आलोचना हुई थी।
वर्ष 2018 में उच्चतम न्यायालय द्वारा राज्य सरकारों को मॉब लिंचिंग की घटना को रोकने के लिए कई तरह के उपाय सुझाते हुए निर्देश जारी किया गया था। झारखंड उच्च न्यायालय द्वारा पिछले दिनों राज्य सरकार को उन्मादी भीड़ द्वारा हत्या के मुद्दे पर फटकार लगाई गई थी। उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार से एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपने को कहा है।
हालांकि राज्य सरकार ने मॉब लिंचिंग रोकने की दिशा में तत्परता दिखाई है। सूत्रों की माने तो मॉब लिंचिंग के दोषियों के लिए कठोर दंड के प्रावधान किये जा सकते हैं।