झारखंड में रामकथा से जुड़े स्थलों को संवारा जाएगा और पर्यटन विभाग इन्हें एक सर्किट के तौर पर विकसित करने की योजना बना रहा है. झारखंड की आदिवासी लोककथाओं में रामकथा के कई प्रसंग मिलते हैं और अब इन स्थलों की ओर राज्य सरकार का ध्यान गया है. इस पहल से धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और अयोध्या जैसी जगहों पर आने वाले आस्थावान श्रद्धालुओं की संख्या यहां भी बढ़ सकती है.
आंजन धाम: हनुमान की जन्मस्थली
झारखंड के गुमला जिले में स्थित आंजन धाम को हनुमान जी की जन्मस्थली माना जाता है. यह स्थान रांची से लगभग 90 किमी और गुमला से 20 किमी दूर स्थित है. आंजन धाम में पहाड़ के ऊपर माता अंजनी गोद में हनुमान जी के साथ बैठी हैं, यह स्थल धार्मिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है. इस स्थल के विकास से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे.
रामरेखा धाम: भगवान राम के चरणों का स्थल
रामरेखा धाम, जो सिमडेगा जिले में स्थित है, रांची से लगभग 185 किमी दूर है. इस स्थान को लेकर मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण के चरण यहां पड़े थे. राम ने वनवास के दौरान यहां चार महीने पहाड़ की गुफा में बिताए थे. एक अन्य मान्यता के अनुसार भगवान राम इस स्थान पर गौतम ऋषि के शिष्य अग्निजिह्वा मुनि के आश्रम में पहुंचे थे, जो पर्वतों और जंगलों से घिरा हुआ था. इस स्थल का धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है और इसका पर्यटन केंद्र के रूप में विकास होने से यहाँ भी श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ेगी.
ऋष्यमूक पर्वत: सुग्रीव का आश्रय स्थल
गुमला जिले के पालकोट प्रखंड में स्थित ऋष्यमूक पर्वत को भी रामकथा से जोड़कर देखा जाता है. यह पर्वत सुग्रीव के बचने की जगह के रूप में प्रसिद्ध है, जहां वह अपने भाई बाली से छिपकर रहते थे. यहाँ की मलमली गुफा को लेकर मान्यता है कि यहीं सुग्रीव ने शरण ली थी. जब भगवान श्रीराम और लक्ष्मण अपनी माता सीता की खोज में निकले थे, तब वे इस पर्वत पर पहुंचे थे. कहा जाता है कि इस पर्वत पर आज भी सुग्रीव के घुटनों के निशान पत्थर में बने हुए हैं. श्रीराम और लक्ष्मण के इस मार्ग पर स्थित ये स्थान आपस में जुड़ने पर श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल बन सकते हैं.
धार्मिक पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
यदि इन तीनों रामकथा से जुड़े स्थलों को एक साथ पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित किया जाता है तो इससे न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय क्षेत्रों में रोजगार के अवसर भी उत्पन्न होंगे. यह परियोजना राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, क्योंकि इससे झारखंड को एक नया धार्मिक पर्यटन केंद्र मिल सकता है, जो देश भर के श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगा.