झारखंड विधानसभा में सोमवार को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार विस्थापितों की हर समस्या का समाधान निकालेगी। अगर जरूरत पड़ी तो इसके लिए पुर्नवास व विस्थापित आयोग का गठन किया जाएगा। इसके साथ ही विस्थापितों के लिए जो भी बेहतर विकल्प होगा उसे अपनाया जाएगा। ये बातें उन्होंने मांडर विधायक बंधु तिर्की के ध्यानाकर्षण का जवाब देते हुए कही।
बंधु तिर्की के इस सवाल पर विधायक प्रदीप यादव, ढुल्लु महतो और विपक्षी दल भाजपा के विधायक सीपी सिंह समेत अन्य ने सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के जवाब की मांग की थी।
इसपर मुख्यमंत्री ने सदन में कहा कि अभी विस्थापितों के मुद्दे पर क्रेडिट लेने की होड़ मची हुई है। जबकि हमारी सरकार ने लोगों की अधिग्रहित जमीन वापस कराने का काम भी किया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि विस्थापितों को भूमि वापस कराने की प्रक्रिया आगे भी चलती रहेगी। उन्होंने कहा कि विस्थापन पूरे राज्य का मुद्दा है और इस समस्या के निदान के लिए आयोग या जो भी बेहतर विकल्प होगा उस पर सरकार निर्णय लेगी। उन्होंने कहा कि सरकार के संज्ञान में यह बात है कि पूरे राज्य में रिजर्व वायर, बोकारो स्टील सिटी, तमाम उद्योगों के लिए हुए भूमि अधिग्रहण से विस्थापित हुए लोगों की समस्या बरकरार है
दरअसल विधायक बंधु तिर्की ने ये कहा था कि एचईसी के लिए 32 गांवों की 9200 एकड़ भूमि अधिग्रहित किए जाने के बाद पुर्नवास के नाम पर 10 से 15 डिसमिल जमीन विस्थापितों को दी गई। इन लोगों को जमीन का पट्टा नहीं दिया गया जिसके कारण उनकी रसीद नहीं कट रही है। अब ऐसे में जाति, आय, आवास आदि जरूरी प्रमाण पत्र नहीं बनने से अभ्यर्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं में आवेदन करने में परेशानी आ रही है। साथ ही लोगों को कई अन्य मूलभूत सुविधायें भी हासिल नहीं हो पा रही हैं।
वहीं पहले इस ध्यानाकर्षण का जवाब महिला एवं बाल विकास मंत्री जोबा मांझी दे रही थी। उन्होंने बताया कि कैंप लगाकर लोगों का जाति, आय, आवास आदि जरूरी प्रमाण पत्र बनाया जाएगा। और जो भी लोग इससे वंचित हैं उनके संबंध में जांच की कार्रवाई जल्द की जाएगी। वो पुर्नवास व विस्थापित आयोग के गठन पर निर्णय के लिए मुख्यमंत्री से विमर्श करने की बात कह रही थीं, इसी दौरान मुख्यमंत्री सदन में आ गए और विधायकों ने उनसे जवाब की मांग की।