झारखंड की जमीन का पश्चिम बंगाल में रजिस्ट्री, जाने पूरी कहानी..

साहिबगंज जिले के उधवा अंचल के कुछ निवासी आज भी अपनी भूमि की रजिस्ट्री मालदा के कलियाचक स्थित निबंधन कार्यालय में जाकर कराते हैं। यह सुनने में बेहद अजीब है लेकिन यह सच है। इसका कारण साहिबगंज जिला प्रशासन के पास इन भूमि से संबंधित दस्तावेज न होना है। साल 1905 में पश्चिम बंगाल से अलग होकर बिहार अस्तित्व में आया था। जिसके बाद दोनों राज्यों के बीच सीमा को लेकर हमेशा विवाद चलता रहा। वहीं 1968 में बिहार तथा पश्चिम बंगाल के बीच भूमि समझाैता हुआ था। जिसके अनुसार गंगा नदी के पश्चिमी हिस्से को बिहार तथा पूर्वी हिस्से को पश्चिम बंगाल माना गया। दरअसल उस समय जमींदार प्रथा को समाप्त कर जमीन का मालिकाना हक रैयतों को देना था। जिसमें रजिस्टर टू तो बिहार को मिला लेकिन खतियान अर्थात रजिस्टर वन पश्चिम बंगाल में रह गया। वहीं दूसरी तरफ झारखंड में इन जमीन का सर्वे नहीं हुआ जिस कारण बाद में रजिस्ट्री पर रोक लगा दी गयी। जिसके कारण उधवा क्षेत्र के लोग मालदा जिले के कलियाचक जाकर अपनी जमीन का निबंधन कराते हैं।

राज्यों के बीच छिड़ा घमाशान..
बता दें कि झारखंड और पश्चिम बंगाल के बीच 49 मौजा की भूमि के मालिकाना हक को लेकर काफी समय से विवाद भी चल रहा है। जिसपर दोनों ही राज्य अपना-अपना दावा करते हैं। वहीं इनमें 22 मौजा उधवा तो 10 मौजा राजमहल अंचल का है। कुल भूमि 50 हजार एकड़ से अधिक है। हालांकि इस मामले को 2011 में सुलझाने की कोशिश हुई थी। यह मामला अंतरराज्यीय विकास परिषद में उठा था लेकिन वहां भी इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया। जिसके बाद एक बार फिर से राज्य सरकार ने जिला प्रशासन से इस मामले में अद्यतन प्रतिवेदन मांगा है। वहीं दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच अच्छे संबंध हैं। जिस कारण यह मामला जल्द ही सुलझा लिया जाएगा। दरअसल जिन क्षेत्रों पर पश्चिम बंगाल अपना दावा करता है उन क्षेत्रों में कल्याणकारी योजनाओं का संचालन झारखंड सरकार करती है। साथ ही लोकसभा, विधानसभा और पंचायत चुनाव तक में लोग सालों से हिस्सा लेते आ रहे हैं। वहीं इन इलाके में मालदा जिले के कलियाचक और मानिकचक अंचल से सटे श्रीधर, प्राणपुर, पलाशगाछी, बानूटोला, पियारपुर, जीतनगर, रानीगंज, नारायणपुर, निमाईटोला, सज्जादटोला भवानंदपुर मौजा सहित अन्य शामिल हैं।

सर्वे कर खत्म होगा विवाद..
वहीं राजमहल लोकसभा के सांसद विजय हांसदा का कहना है कि झारखंड, बिहार और पश्चिम बंगाल के बीच सीमा क्षेत्र की कुछ भूमि को लेकर विवाद चल रहा है। जिसपर सभी अपना अपना दावा करते हैं। हालांकि झारखंड के सीमावर्ती क्षेत्र के एक बड़े हिस्से का सर्वे नहीं हो सका है। जिस कारण विवाद का समाधान नहीं हो रहा है। मैंने इस मामले को लोकसभा में उठाया था। जिसके बाद सर्वे शुरू भी हुआ लेकिन फिर बंद हो गया। यह क्यों बंद हुआ इसकी पूरी जानकारी करूंगा। साथ ही जल्द सर्वे कराकर सीमा विवाद को सुलझाया जाएगा।