झारखंड में ठंड का मौसम जैसे-जैसे बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे निमोनिया और सांस की समस्याओं के मामलों में भी इजाफा हो रहा है. प्रदेश में शीतलहर और ठंड के प्रभाव से छोटे बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है, लेकिन एक और बड़ी समस्या यह है कि एचएमपीवी (ह्यूमन मेटापेनमोनवीरस) के नए वायरस की जांच अभी तक शुरू नहीं हो पाई है. यह वायरस खासतौर पर बच्चों और बुजुर्गों के लिए खतरे का कारण बन सकता है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं में इस वायरस की जांच की सुविधा नहीं होने के कारण इसका कोई आंकड़ा सामने नहीं आ पाया है.
रिम्स में पहुंच चुकी हैं जांच किट, लेकिन अभी तक शुरू नहीं हुई जांच
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि एचएमपीवी वायरस की जांच के लिए जरूरी किट रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) में शुक्रवार को पहुंच चुकी है, लेकिन इसके बावजूद जांच की प्रक्रिया शुरू नहीं हो पाई है. इसके कारण, लक्षण दिखने के बावजूद किसी भी नए मामले का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड सामने नहीं आया है. इसके अलावा, प्रदेश में अन्य अस्पतालों, जैसे कि सदर अस्पताल में भी एचएमपीवी वायरस की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. यहां तक कि निजी लैबों में भी इस वायरस की जांच की सुविधा उपलब्ध नहीं है. चिकित्सकों के अनुसार, हालांकि उन्हें गंभीर मरीजों के लिए एचएमपीवी वायरस की जांच कराने की जरूरत महसूस हो रही है, लेकिन जब तक जांच की सुविधा नहीं होगी, वे ऐसे मामलों की जांच के लिए कोई निर्देश नहीं दे पा रहे हैं. एचएमपीवी के संभावित संक्रमण के मामलों में लक्षणों की पहचान कर पाना भी मुश्किल हो रहा है, क्योंकि अब तक इसके लिए कोई आधिकारिक जांच शुरू नहीं हो पाई है.
बच्चों और बुजुर्गों में निमोनिया के मामले बढ़े, ओपीडी में बढ़ी भीड़
ठंड के मौसम में बच्चों में निमोनिया के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. खासतौर पर छोटे बच्चों में सांस की समस्या के साथ निमोनिया की शिकायत बढ़ रही है. अस्पतालों के ओपीडी (आउट पेशेंट डिपार्टमेंट) में सांस की तकलीफ से जुड़े मरीजों की संख्या में भी इजाफा हुआ है. इसके साथ ही बुजुर्गों में भी निमोनिया की समस्या तेजी से बढ़ रही है, खासतौर पर उन लोगों में जिनका पहले से कोई क्रोनिकल रोग (पुराना रोग) हो. इसके बावजूद, रिम्स और सदर अस्पताल में एचएमपीवी जांच की कोई व्यवस्था नहीं होने के कारण चिकित्सक अब भी इन मामलों का सही ढंग से परीक्षण नहीं कर पा रहे हैं. इस कारण यह सुनिश्चित करना मुश्किल हो रहा है कि यह समस्या एचएमपीवी वायरस के कारण हो रही है या कुछ और.
रिम्स और निजी लैबों में जांच की तैयारी जारी
रिम्स के निदेशक डॉ. राजकुमार ने पुष्टि की है कि 50 जांच किट रिम्स में पहुंच चुकी हैं और इस सप्ताह के अंत तक परीक्षण प्रक्रिया शुरू करने का प्रयास किया जाएगा. डॉ. राजकुमार ने बताया कि प्रारंभ में गंभीर मामलों की ही जांच की जाएगी, खासकर उन मरीजों की जिनमें पहले से कोई क्रोनिकल डिजीज है, जैसे कि श्वसन संबंधित समस्याएं और फेफड़ों की समस्याएं. इसके अलावा, बुजुर्ग और छोटे बच्चों के मामलों में जिनमें अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी हो सकती हैं, उनका भी सैंपल लेकर परीक्षण किया जाएगा.
निमोनिया के लक्षणों को नजरअंदाज करना हो सकता है खतरनाक
झारखंड में जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है, निमोनिया के मामले भी बढ़ रहे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, ठंड के मौसम में निमोनिया का खतरा अधिक होता है क्योंकि इस दौरान लोग अक्सर व्यायाम नहीं करते और पानी कम पीते हैं. इसके साथ ही, सर्दी-जुकाम के लक्षणों को हल्के में लिया जाता है और लोग उसे मौसम में बदलाव का असर मानकर नजरअंदाज कर देते हैं, जो बाद में निमोनिया का रूप ले सकता है. विशेषज्ञों का कहना है कि निमोनिया के लक्षणों के दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और उपचार शुरू करना चाहिए, ताकि स्थिति गंभीर न हो. निमोनिया के लक्षणों में तेज बुखार, सांस लेने में तकलीफ, खांसी, शरीर में कमजोरी और शारीरिक सूजन जैसे संकेत शामिल होते हैं. अगर इन लक्षणों के साथ बच्चे या बुजुर्ग व्यक्ति नीलापन, अत्यधिक थकावट, या बेहोशी का अनुभव करें, तो यह गंभीर स्थिति का संकेत हो सकता है और तत्काल चिकित्सा सहायता की आवश्यकता होती है.
निजी लैबों में भी जांच की तैयारी शुरू
अभी तक निजी लैबों में एचएमपीवी वायरस की जांच की कोई सुविधा नहीं थी, लेकिन अब निजी लैबों में भी इस वायरस की जांच के लिए तैयारी शुरू हो चुकी है. सूत्रों के अनुसार, अगले एक-दो दिनों में निजी लैबों में भी एचएमपीवी की जांच शुरू हो सकती है, जो आने वाले दिनों में इस वायरस के मामलों को ठीक से समझने और नियंत्रित करने में मददगार साबित हो सकती है.