रांची की शिप्ती अब अफ्रीका के सबसे ऊंचे किलिमंजारो पर्वत को फतह करने की तैयारी में..

रांची : डॉ शिप्ती श्रद्धा सिंह यंगेस्ट पर्वतारोही बनने के बाद अब अफ्रीका के सबसे ऊंचे किलिमंजारो पर्वत (5,895 मीटर ऊंचा) पर तिरंगा फरहाने की तैयारी में हैं। अभी 17 अगस्त को ही श्रद्धा ने यूरोप के सबसे ऊंचे शिखर एलब्रुस पर्वत जो 5,642 मीटर ऊंचा है पर चढ़ाई करने वाली झारखंड की पहली महिला बनी हैं। इसके बाद उनका हौसला बढ़ता गया और वे अब होने वाले अगले सातवें समिट में अफ्रीका के इस पर्वत पर फतह हासिल करने का मन बनाया है। मालूम हो कि श्रद्धा सिंह की पढ़ाई रांची व बोकारो में हुई है। उन्हें ट्रेकिंग के लिए उनके माता-पिता का शुरू से ही साथ मिलता रहा। ट्रेकिंग की शुरुआत कोलकाता से उन्होंने की और आज इस मुकाम को हासिल किया है।

डॉ शिप्ती श्रद्धा बताती हैं कि उन्हें ट्रेकिंग का शुरू से ही शौक रहा है, जिस कारण पेशे से डाक्टर होने के बाद भी वो पर्वतारोही बनने के लिए हमेशा ट्रेकिंग में जाती रही और इसी बीच उन्हें यूरोप के एलब्रुस पर्वत पर चढ़ने का मौका मिला। इसमें तीन सदस्यों का दल था, जिसमें श्रद्धा के साथ दूसरे पर्वतारोही राजस्थान से अनिल कुमार और तीसरे कोलकाता से कृष्णइंदू दास मौजूद थे। इन सभी ने रूस और जॉर्जिया के बार्डर में मौजूद एलब्रुस पर्वत में अपने टीम के साथ चढ़ाई की और 17 अगस्त की सुबह 8:23 बजे तिरंगा फहराया था।

पर्वतारोही डा शिप्ती श्रद्धा बताती हैं कि उन्होंने 15 अगस्त को ही एलब्रुस पर्वत पर तिरंगा फहराने की प्लानिंग की थी। सभी कुछ अच्छा चल रहा था, उन लोगों ने आठ अगस्त को दिल्ली से अपनी मंजिल की ओर उड़ान भरी। जिसके बाद 12 अगस्त को बेस कैंप से पर्वत की चढ़ाई शुरू की और आखरी कैंप में वे रुकने के बाद 14 अगस्त को चढ़ाई शुरू की, यहां से सिर्फ 600 मीटर की ही दूरी बाकी रह गई थी। लेकिन अचानक मौसम बहुत खराब हो गया और पूरी टीम को ना चाहकर भी वापस हजार मीटर नीचे लौटना पड़ा। इसके बाद इन लोगों ने 16 अगस्त को फिर चढ़ाई शुरू की और 17 अगस्त की सुबह वे अपनी मंजिल पर थे। श्रद्धा बताती है कि 15 अगस्त को तिरंगा नहीं फहराने का उन्हें काफी अफसोस रहा, लेकिन इसके बाद जो जीत मिली उसकी खुशी दोगुनी थी।

पेशे से चिकित्सक डा. शिप्ती कोविड के पीक पर रहने के दौरान दिल्ली के फोर्टिस एस्कोर्ट्स अस्पताल में क्रिटिकल केयर यूनिट में मुस्तैद रहीं। तमाम मुश्किलों के बावजूद मरीजों के इलाज में जुटी रहीं। पर्वतारोही डा शिप्ती बताती हैं कि सरकार को इसके लिए कुछ अलग से करना होगा। ऐसे होनहार युवाओं को प्रोत्साहित करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जानकारी के अभाव में भी सफलता नहीं मिलती है, इसे दुरूस्त करने की जरूरत है। डा श्रद्धा बताती हैं कि उन्हें किलिमंजारो पर्वत पर चढ़ाई करने का इंतजार है, वो इसके लिए काफी दिनों से प्रयासरत है और अब लगता है कि उनका सपना पूरा हो सकेगा। किलिमंजारो पर्वत सात शिखरों में चौथा सबसे ऊंचा पर्वत है। यह दुनिया में सबसे लंबा खड़ा पहाड़ है। इसकी ऊंचाई 5,895 मीटर है, जो काफी खतरनाक पर्वत के रूप में माना जाता है।