राजधानी रांची के नजदीक स्थित पुंदाग इलाका इन दिनों विकास की नई मिसाल गढ़ रहा है. रांची के राजधानी बनने के बाद जिन क्षेत्रों में सबसे तेजी से तरक्की हुई है, उनमें पुंदाग सबसे ऊपर माना जा रहा है. लगभग दस किलोमीटर के दायरे में फैले इस इलाके में बीते कुछ वर्षों में चौतरफा विकास देखने को मिला है. हालांकि, बुनियादी समस्याएं अभी भी इस क्षेत्र को परेशान कर रही हैं.
क्यों खास है पुंदाग?
पुंदाग का एक बड़ा हिस्सा रांची नगर निगम के अधीन है, जबकि बाकी हिस्सा पंचायती राज व्यवस्था के तहत आता है. इस वजह से यह इलाका अर्ध-शहरी रूप में विकसित हो रहा है. यहां एक ओर शहर जैसी आधुनिक सुविधाएं मौजूद हैं, तो दूसरी ओर ग्रामीण व्यवस्था की चुनौतियां भी दिखाई देती हैं. यह क्षेत्र रिटायर्ड लोगों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि यहां शांति और सुविधाओं का अच्छा तालमेल है. विधानसभा, हाईकोर्ट और जेएससीए स्टेडियम जैसे अहम केंद्रों के पास होने के कारण पुंदाग की लोकेशन भी बहुत अहम मानी जाती है. यही कारण है कि बीते 10 वर्षों में यहां दर्जनों मोहल्ले बस चुके हैं और कई आधुनिक हाउसिंग सोसाइटी तैयार हो गई हैं.
शिक्षा और धार्मिक केंद्रों का हब
पुंदाग शिक्षा का भी उभरता केंद्र बन चुका है. देश के प्रतिष्ठित संस्थानों में शुमार आईआईएम रांची इसी इलाके में स्थित है. इसके अलावा आईएमएस, आईएसएम दाग, डीएवी आलोक, एसआर डीएवी, संत माइकल्स, और विकास पब्लिक स्कूल जैसे नामचीन स्कूल भी इस इलाके में हैं. धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए साईं धाम और राधाकृष्ण मंदिर आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं, जहां रांची और आसपास के श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते हैं.
आधुनिकता की ओर कदम
यहां की हाउसिंग सोसाइटीज अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस हैं. कार कंपनियों के सर्विस सेंटर, रेस्टोरेंट, पेट्रोल पंप, और अन्य शहरी सुविधाएं तेजी से बढ़ रही हैं. नए-नए मोहल्लों में बिल्डर्स अपनी योजनाएं लेकर आ रहे हैं और फ्लैट, डुप्लेक्स और प्लॉट्स की मांग तेजी से बढ़ी है.
लेकिन समस्याएं भी कम नहीं
जहां एक ओर विकास की तस्वीर आकर्षक है, वहीं दूसरी ओर कई बुनियादी समस्याएं अब भी पुंदाग को परेशान कर रही हैं.
1. पानी की सप्लाई – इलाके में पाइपलाइन से पानी की आपूर्ति अब तक सुनिश्चित नहीं हो सकी है, जिससे लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है.
2. सड़कें और नाली व्यवस्था – कई नए मोहल्लों की सड़कें अब भी नहीं बनी हैं. कुछ गलियों की सड़कें बेहद संकीर्ण हैं और वहां स्पीड ब्रेकर तक नहीं हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा बना रहता है.
3. कचरा प्रबंधन – कुछ हिस्सों में सड़कें जर्जर हैं और जगह-जगह कूड़ा-कचरा फैला हुआ है, जिससे गंदगी और बीमारियों का डर रहता है.
4. प्रशासनिक उलझन – आधा इलाका नगर निगम और आधा पंचायती राज में होने से विकास कार्यों में बाधा आती है. लोग बार-बार शिकायतें करते हैं, लेकिन समाधान नहीं मिलता.
लोगों की प्रतिक्रिया
• स्थानीय निवासी गौतम कुमार ने कहा, “सबसे बड़ी दिक्कत यही है कि आधा इलाका निगम में है और आधा पंचायत में. जब विकास की बात आती है तो दोनों एक-दूसरे पर टाल देते हैं.”
• एसके पाठक कहते हैं, “पहले यहां आना मुश्किल था, लेकिन अब अच्छी सड़कों और स्ट्रीट लाइट की वजह से रात में भी आना-जाना आसान हो गया है.”
• अजय उपाध्याय बताते हैं, “पहले बच्चों को पढ़ाई के लिए मेन टाउन भेजना पड़ता था, लेकिन अब यहां कई अच्छे स्कूल और कॉलेज खुल चुके हैं.”
• तंत्रनाथ झा ने कहा, “मोहल्ले तो बन गए हैं लेकिन गलियां बहुत संकरी और जर्जर हैं. ब्रेकर न होने से दुर्घटनाएं होती रहती हैं.”