राजधानी की दूषित हाे रही हवा को स्वच्छ बनाने की तैयारी हाे रही है। इसके लिए दिल्ली मॉडल अपनाया जाएगा। पूरे शहर की हवा को स्वच्छ करने के लिए दिल्ली की तर्ज पर एंटी स्मॉग टावर लगाए जाएंगे। पहले चरण में शहर के आठ प्रमुख स्थानों पर एंटी स्मॉग टावर लगेंगे। जरूरत पड़ी तो इसकी संख्या बढ़ाई जाएगी। नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने टावर बनाने वाली कंपनियों को शहर का सर्वे करके एक रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा है, ताकि पता चले कि शहर के किस क्षेत्र में हवा में प्रदूषण का स्तर कितना है और संबंधित क्षेत्र में कितने टावर की जरूरत है। सर्वे के दौरान टावर लगाने के लिए स्थान का भी चयन किया जाएगा, ताकि स्मॉग टावर लगाने में किसी तरह की दिक्कत न हो। मालूम हो कि देश का पहला एंटी स्मॉग टावर दिल्ली के कनॉट प्लेस में लगाया गया है।
नगर आयुक्त मुकेश कुमार ने बताया की एयर क्वालिटी सुधारने के लिए कई स्तर पर काम किए जा रहे हैं। अब एंटी स्मॉग टावर लगाए जाएंगे। सर्वे करने का निर्देश दिया गया है। शहर में प्रदूषण के स्तर के आधार पर टावर लगाए जाएंगे। पांच लाख पौधे लगाने का भी लक्ष्य रखा गया है।
एंटी स्मॉग टावर लगाने के लिए तीन कंपनियों ने पिछले दिनों नगर निगम में प्रेजेंटेशन दिया है। कंपनी के प्रतिनिधियों ने अपनी रिपोर्ट में पंडरा से पिस्का मोड़, रातू रोड होते हुए कचहरी चौक तक की हवा सबसे खराब पाई गई। हवा में छोटे-छोटे धुल-कण पाए गए। इस क्षेत्र की हवा में धुंआ की मात्रा भी अधिक मिली है। एमजी रोड और हरमू रोड की हवा भी हानिकारक है। इस क्षेत्र में भी हवा में धूल के कण पाए गए हैं। अन्य क्षेत्रों में सर्वे के बाद प्रदूषण के स्तर का पता चलेगा।
स्मॉग टावर कितनी दूर तक की हवा कर सकता है साफ?
स्मॉग टावर बनाने वाले इंजीनियरों का दावा है कि यह संयंत्र 1 वर्ग किलोमीटर के दायरे में हानिकारक कणों की संख्या आधी करने में सक्षम है। प्रत्येक पंखा 25 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड हवा डिस्चार्ज करता है। पूरा टावर 1,000 क्यूबिक मीटर प्रति सेकंड हवा उत्पादित करने में सक्षम है। टावर के अंदर दो परतों में 5,000 फिल्टर हैं।
कैसे काम करता है स्मॉग टावर?
स्मॉग टावर प्रदूषित हवा को 24 मीटर की ऊंचाई तक अवशोषित करता है और फिल्टर की गई हवा को टावर के नीचे, जमीन से लगभग 10 मीटर की ऊंचाई पर छोड़ता है। जब टावर के निचले हिस्से में पंखे ऑपरेट करते हैं तो निगेटिव प्रेशर के जरिए ऊपर हवा को फिल्टर अवशोषित करता है। फिल्टर में ‘मैक्रो’ लेयर में जाकर 10 माइक्रोन और उससे बड़े कणों फंसते हैं जबकि ‘माइक्रो’ लेयर में लगभग 0.3 माइक्रोन के छोटे कणों को फिल्टर किया जाता है।
स्वच्छ हवा के लिए केंद्र से फंड का है प्रावधान, 15वें वित्त आयोग से निगम को मिलेगा फंड..
जानकारी के अनुसार, शहर की आबो-हवा को स्वच्छ बनाने के लिए केंद्र सरकार ने 15वें वित्त आयोग में फंड देने का प्रावधान किया है। कोरोना के बाद लोगों की सेहत सुधारने के उद्देश्य से प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए शहरों को फंड दिए जाएंगे। इसी प्रावधान के तहत रांची में एंटी स्मॉग टावर लगाने की तैयारी हो रही है। एक टावर लगाने पर करीब 1.5 करोड़ रुपए खर्च होंगे।