झारखंड की राजधानी रांची में स्थित राज्य का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) की इमरजेंसी सेवाओं की स्थिति बेहद खराब हो गई है. पिछले 15 दिनों में इमरजेंसी वार्ड में 211 मरीजों की मौत हो चुकी है, जो अस्पताल की व्यवस्थाओं की गंभीर कमी को दर्शाता है.
इमरजेंसी सेवाओं की खस्ताहाली
सेंट्रल इमरजेंसी में कुल 9 वेंटिलेटर्स हैं, जिनमें से 7 खराब पड़े हैं. इसका सीधा असर गंभीर रूप से बीमार मरीजों पर पड़ रहा है, जिन्हें समय पर उचित इलाज नहीं मिल पा रहा है. इस वजह से मौतों की संख्या लगातार बढ़ रही है. ICU में भी वेंटिलेटर और अन्य सुविधाओं की कमी है, जिससे मरीजों की जान खतरे में पड़ रही है.
हाई कोर्ट की सख्त फटकार
रिम्स की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए झारखंड हाई कोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया है. कोर्ट ने पहले भी अस्पताल प्रशासन और राज्य सरकार को सुधार के निर्देश दिए थे, लेकिन स्थिति में कोई खास बदलाव नहीं आया. हाई कोर्ट ने यहां तक कहा कि अगर अस्पताल को सही तरीके से नहीं चलाया जा सकता, तो इसे बंद कर देना चाहिए. यह बयान अस्पताल की गंभीर हालत को स्पष्ट करता है और प्रशासन पर कड़ी कार्रवाई का दबाव डालता है.
प्रशासनिक अनदेखी और लापरवाही
हाई कोर्ट की फटकार के बावजूद रिम्स की व्यवस्थाओं में सुधार के कोई ठोस प्रयास नहीं किए गए. अस्पताल प्रशासन की लापरवाही के कारण न केवल मरीजों की जान जा रही है, बल्कि राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर भी गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. आवश्यक संसाधनों की कमी, वेंटिलेटर्स की खराबी, और स्टाफ की कमी जैसे मुद्दे अब तक अनसुलझे हैं.
नर्सिंग स्टाफ और संसाधनों की कमी
अस्पताल में न केवल चिकित्सा उपकरणों की कमी है, बल्कि नर्सिंग स्टाफ की भी भारी कमी है. रिपोर्ट में यह बताया गया है कि 10 वेंटिलेटर्स शिफ्ट करने की योजना बनाई गई थी, लेकिन नर्सिंग स्टाफ की कमी के कारण इसे पूरा नहीं किया जा सका. इसके अलावा, दवाइयों और अन्य जरूरी चिकित्सा उपकरणों की कमी भी मरीजों की हालत को और खराब कर रही है.
आगे की चुनौतियां
अब सवाल यह है कि क्या झारखंड सरकार और रिम्स प्रशासन इस गंभीर स्थिति को सुधारने के लिए कोई ठोस कदम उठाएंगे. हाई कोर्ट की सख्त फटकार और लगातार हो रही मौतों के बाद भी अगर अस्पताल की स्थिति नहीं सुधरती है, तो इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं. राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं पर उठ रहे सवाल और जनता की नाराजगी को देखते हुए, सरकार के पास अब समय नहीं है कि वह और इंतजार करे. उसे जल्द से जल्द सुधार के उपाय अपनाने होंगे, नहीं तो राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं की यह दुर्दशा एक बड़ी समस्या बन सकती है.
जनता और मरीजों का गुस्सा
रिम्स की इमरजेंसी सेवाओं की खराब हालत से मरीजों और उनके परिजनों में गुस्सा बढ़ता जा रहा है. कई मरीजों को मजबूरी में प्राइवेट अस्पतालों में इलाज करवाना पड़ रहा है, जहां का खर्चा बहुत अधिक है. गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों के लिए यह स्थिति बेहद कठिन है, और वे सरकार से इस मुद्दे पर जल्द समाधान की मांग कर रहे हैं.
राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इस गंभीर स्थिति के चलते राज्य की राजनीति में भी हलचल मच गई है. विपक्षी दलों ने राज्य सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए हैं और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार की मांग की है. अगर जल्द ही सुधार नहीं हुआ, तो यह मामला आने वाले चुनावों में भी एक प्रमुख मुद्दा बन सकता है.