झारखण्ड की राजधानी रांची की स्वत्छता का ख्याल रखते हुए अब नगर निगम संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम में जुड़ने वाला है। जानकारी के अनुसार, इस योजना के तहत रांची में नगर निगम द्वारा प्लास्टिक कचरा प्रबंधन की व्यवस्था की जाएगी जिसके बाद 54 वार्ड में कचरा प्रबंधन की अलग व्यवस्था होगी। इसी विषय पर दोनों संस्थाओं के बीच जल्द ही एमओयू हो सकता है।
इस योजना के लागु होने पर रांची नगर निगम प्लास्टिक कचरा निस्तारण की व्यवस्था के लिए जगह उपलब्ध कराएंगे। प्लास्टिक कचरे को अन्य कचरे से अलग करने के लिए सभी वार्ड में अलग कूड़ेदान की व्यवस्था की जाएगी। पानी और कोल्ड ड्रिंक की बोतल, खाने-पीने वाली सामग्रियों में इस्तेमाल होने वाले रैपर सहित अन्य सभी प्रकार के प्लास्टिक के कूड़े पर्यावरण से काफी हानि पहुंचते हैं। यूनाइटेड नेशन डेवलपमेंट प्रोग्राम के तहत योजना का पूरा खर्च यूएनडीपी वहन करेगा।
इसके अलावा, निगम ने एक और अहम फैसला लिया है। अब नगर निगम शहर में अब 4 स्थानों पर करीब 4 करोड़ रुपए की लागत से एरोबिक बायो टॉयलेट बनाएगा। निगम में टॉयलेट बनाने की प्रक्रिया शुरू भी कर दी है। पहले फेज में लाइन टैंक रोड, करम टोली तालाब, मेडिका हॉस्पिटल और मोरहाबादी मैदान के पास एरोबिक बायो टॉयलेट का निर्माण होगा।महिलाओं के लिए चेंजिंग और फीडिंग रूम भी बनाए जाएंगे। टॉयलेट के आसपास गार्डनिंग की जाएगी, ताकि यहां आने पर लोगों को स्वच्छता और हरियाली दिखे। इस टॉयलेट की खासियत है कि यह दुर्गंध रहित होगा, क्योंकि इसमें मौजूद बैक्टीरिया मल-मूत्र को कुछ ही क्षण में पानी में तब्दील कर देंगे।
अब तक शहर के विभिन्न मार्ग, हाट-बाजार, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन के आसपास बनाए गए 80 मॉड्यूलर टॉयलेट की स्थिति खराब है। निगम इन मॉड्यूलर टॉयलेट का मेंटेनेंस नहीं करता है। अधिकांश में गंदगी रहती है। पानी भी नहीं रहता है।