रांची: रिम्स में डॉक्टरों की हड़ताल जारी, मरीजों को करना पड़ रहा भारी परेशानियों का सामना….

रांची के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (RIMS), में डॉक्टरों की हड़ताल के कारण स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह से ठप हो गई हैं. इस हड़ताल ने न केवल अस्पताल के सामान्य कामकाज को प्रभावित किया है, बल्कि यहां इलाज के लिए आए मरीजों को भी भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. हड़ताल के चलते ओपीडी सेवाओं से लेकर इमरजेंसी सेवाएं तक प्रभावित हो गई हैं, जिससे मरीज और उनके परिजन असमंजस की स्थिति में हैं.

हड़ताल के कारण और डॉक्टरों की मांगें

इस हड़ताल का मुख्य कारण डॉक्टरों की लंबित मांगें हैं, जिन्हें लेकर वे काफी समय से संघर्ष कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि उनकी कई महत्वपूर्ण मांगें, जैसे वेतन वृद्धि, काम के बेहतर हालात, और पर्याप्त सुविधाएं, लंबे समय से अनसुनी की जा रही हैं. डॉक्टरों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन और राज्य सरकार उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे वे मजबूर होकर हड़ताल पर जाने को विवश हुए हैं. डॉक्टरों की प्रमुख मांगों में से एक है वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी. वे चाहते हैं कि उनकी सैलरी का पुनर्निर्धारण किया जाए और उन्हें अन्य राज्यों के डॉक्टरों के समान सुविधाएं मिलें. इसके अलावा, डॉक्टरों ने काम के दबाव और बेहतर कार्यशैली की मांग की है, जिसमें पर्याप्त स्टाफ और आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता शामिल है. डॉक्टरों का कहना है कि बिना इन सुधारों के, उन्हें अपनी सेवाएं देने में कठिनाई हो रही है, और इससे मरीजों की देखभाल पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है.

मरीजों को हो रही परेशानियां

डॉक्टरों की इस हड़ताल के चलते सबसे ज्यादा प्रभावित वे मरीज हो रहे हैं, जो इलाज के लिए रिम्स पर निर्भर हैं. ओपीडी सेवाएं पूरी तरह से बंद होने के कारण, रोजाना सैकड़ों मरीज बिना इलाज के वापस लौटने को मजबूर हैं. इमरजेंसी सेवाओं पर भी इसका गंभीर असर पड़ा है. हड़ताल के कारण कई ऑपरेशन स्थगित कर दिए गए हैं, और गंभीर रूप से बीमार मरीजों के इलाज में भी देरी हो रही है. मरीजों के परिजनों का कहना है कि वे अपने बीमार रिश्तेदारों के इलाज के लिए कई दिनों से रिम्स में हैं, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल के कारण उन्हें किसी प्रकार की चिकित्सा सेवा नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उन्हें निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ रहा है, जहां इलाज महंगा है और सभी के लिए संभव नहीं है. कई मरीज, जो दूर-दराज से इलाज के लिए रांची आए थे, अब वापस जाने को मजबूर हो रहे हैं, क्योंकि वे इतने लंबे समय तक यहां रुकने में असमर्थ हैं.

अस्पताल प्रबंधन की प्रतिक्रिया

रिम्स प्रबंधन का कहना है कि वे डॉक्टरों की मांगों को लेकर गंभीर हैं और उन्हें हल करने की दिशा में काम कर रहे हैं. प्रबंधन ने डॉक्टरों से हड़ताल खत्म करने और बातचीत के माध्यम से समाधान निकालने की अपील की है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि हड़ताल के कारण मरीजों को हो रही परेशानियों को देखते हुए डॉक्टरों को अपनी सेवाएं फिर से शुरू करनी चाहिए. अस्पताल प्रबंधन ने यह भी कहा कि वे राज्य सरकार से डॉक्टरों की मांगों को लेकर बातचीत कर रहे हैं और उम्मीद है कि जल्द ही इसका समाधान निकलेगा. प्रबंधन का मानना है कि बातचीत के जरिए ही किसी भी समस्या का समाधान निकाला जा सकता है, और हड़ताल से केवल मरीजों को नुकसान हो रहा है.

राज्य सरकार की स्थिति

इस हड़ताल के बीच राज्य सरकार भी डॉक्टरों की मांगों को लेकर गंभीर नजर आ रही है. सरकार का कहना है कि वह डॉक्टरों की सभी उचित मांगों पर विचार कर रही है और जल्दी ही कोई समाधान निकालने की कोशिश कर रही है. राज्य सरकार ने भी डॉक्टरों से अपील की है कि वे हड़ताल खत्म कर मरीजों की सेवा में वापस लौटें. राज्य सरकार का यह भी कहना है कि वेतन वृद्धि और अन्य मांगों को लेकर एक कमेटी का गठन किया गया है, जो सभी मुद्दों पर गौर करेगी और उचित समाधान निकालेगी. सरकार ने डॉक्टरों से आग्रह किया है कि वे कमेटी की सिफारिशों का इंतजार करें और इस दौरान हड़ताल खत्म करें.

समस्या का समाधान और आगे की राह

डॉक्टरों की इस हड़ताल ने एक बार फिर से सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की कमजोरियों को उजागर किया है. इस हड़ताल से साफ है कि अगर डॉक्टरों की मांगों को समय पर नहीं सुलझाया गया, तो इस तरह की स्थिति बार-बार उत्पन्न हो सकती है, जिससे मरीजों को ही नुकसान होगा. डॉक्टरों और प्रबंधन के बीच संवादहीनता भी इस समस्या का एक बड़ा कारण है. अगर दोनों पक्षों के बीच नियमित और प्रभावी संवाद होता, तो शायद इस हड़ताल की नौबत ही नहीं आती. अब जरूरी है कि डॉक्टरों की मांगों को गंभीरता से लिया जाए और उन्हें जल्द से जल्द पूरा किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी स्थिति न पैदा हो. इसके साथ ही, राज्य सरकार को भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है, ताकि अस्पतालों में कामकाज सुचारू रूप से चल सके और मरीजों को किसी प्रकार की दिक्कत का सामना न करना पड़े. अगर राज्य सरकार और अस्पताल प्रबंधन डॉक्टरों की मांगों को गंभीरता से लेते हैं और उन्हें समय पर सुलझाते हैं, तो यह हड़ताल खत्म हो सकती है और मरीजों को जल्द से जल्द राहत मिल सकती है.

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