रांची: युवाओं में बढ़ रहा अवसाद, पिछले चार सालों में 25 प्रतिशत तक बढ़े मामले….

रांची में युवाओं में अवसाद के मामलों में चिंताजनक वृद्धि देखी गई है. पिछले चार सालों में सीआईपी (केंद्रीय मनश्चिकित्सा संस्थान) में आने वाले युवा अवसाद के मरीजों की संख्या में 25 प्रतिशत तक बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह बढ़ोतरी कामकाजी युवाओं में अधिक देखी गई है, जो कि तनाव और दबाव के कारण मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं.

अवसाद के बढ़ते मामले

रांची में सीआईपी और अन्य मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में अवसाद से पीड़ित युवाओं की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. सूचनानुसार, जहां पहले हर दिन 700 से 800 मरीज मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं के लिए इलाज कराने आते थे, वहीं अब यह संख्या और भी बढ़ गई है. खासकर, पिछले चार सालों में युवाओं में अवसाद के मामलों में 25% तक की वृद्धि देखी गई है.

कामकाजी युवाओं पर विशेष असर

इस वृद्धि का सबसे बड़ा कारण कामकाजी युवाओं पर बढ़ता हुआ मानसिक दबाव माना जा रहा है. उच्च कार्यभार, नौकरी की असुरक्षा, वित्तीय तनाव, और परिवार की अपेक्षाएं युवाओं को अवसाद की ओर धकेल रही हैं. युवाओं में तेजी से बढ़ते करियर के दबाव ने उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डाला है.

अवसाद के लक्षण और प्रभाव

विशेषज्ञों के अनुसार, अवसाद के कारण युवाओं में आत्मविश्वास की कमी, जीवन में रुचि की कमी, निराशा, चिड़चिड़ापन और अन्य मानसिक और शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं. अवसाद के ये लक्षण अक्सर अनदेखे रह जाते हैं, जिससे यह समस्या और भी गंभीर हो जाती है.

क्या कह रहे हैं विशेषज्ञ

विशेषज्ञों का मानना है कि मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी, अवसाद को पहचानने में असमर्थता, और सही समय पर इलाज न होने से यह समस्या और भी गंभीर होती जा रही है. युवाओं को अपने मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सजग रहना चाहिए और जरूरत पड़ने पर मनोचिकित्सक की सलाह लेनी चाहिए.

समाज पर प्रभाव

अवसाद केवल व्यक्तिगत समस्या नहीं है, बल्कि यह पूरे समाज को प्रभावित करता है. अवसाद से पीड़ित व्यक्ति की कार्यक्षमता घटती है, जो उसके करियर और परिवारिक जीवन को प्रभावित करता है. इसके अलावा, यह स्थिति देश की आर्थिक और सामाजिक संरचना पर भी असर डाल सकती है.

उपचार और सावधानियां

अवसाद से बचाव के लिए नियमित रूप से मानसिक स्वास्थ्य जांच, योग और ध्यान जैसे उपाय अपनाने चाहिए. साथ ही, तनाव प्रबंधन के लिए समय-समय पर ब्रेक लेना, परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाना जरूरी है. सरकार और स्वास्थ्य विभाग को भी इस बढ़ती समस्या पर ध्यान देना चाहिए और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार करना चाहिए. युवाओं के लिए काउंसलिंग सेवाओं की उपलब्धता और मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता अभियान चलाए जाने की भी आवश्यकता है.

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