रांची: भगवान बिरसा मुंडा की 125वीं पुण्यतिथि के अवसर पर 9 जून को राजधानी रांची में एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ, जिसमें यह दावा किया गया कि बारिश के दौरान रांची के डीसी मंजूनाथ भजंत्री के काफिले को निकालने के लिए आम नागरिकों को ट्रैफिक पोस्ट पर रोक दिया गया। वीडियो में देखा गया कि भारी बारिश के बीच कई वाहन चालक ट्रैफिक जाम में फंसे हुए हैं और ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों से बहस कर रहे हैं।
इस वायरल वीडियो को लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह की प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। लोगों ने प्रशासन पर सवाल उठाते हुए कहा कि आम जनता को बारिश में भींगने पर मजबूर किया गया, जबकि अधिकारियों के लिए रास्ता खाली कराया गया।
क्या है वायरल वीडियो में?
वायरल वीडियो करीब 1 मिनट 4 सेकंड का है, जिसमें ट्रैफिक पोस्ट पर कुछ वाहन चालकों और ट्रैफिक पुलिस के बीच तीखी बहस होती दिखाई देती है। वीडियो में एक अधिकारी बारिश में भींगते वाहन चालकों से कहता है कि “कहीं नहीं जाना है, कम बोलिए। पानी हमको नहीं पड़ रहा है, हम पानी में ड्यूटी कर रहे हैं।” जब चालक कहते हैं कि वे भीग रहे हैं तो अधिकारी जवाब देते हैं “तो पीछे जाइए।” इस दौरान सायरन की तेज आवाज भी सुनाई देती है, जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि कोई वीवीआईपी काफिला गुजर रहा है।
डीसी ने वीडियो को बताया ‘गलत तथ्य प्रस्तुति’
इस वायरल वीडियो को लेकर जब सोशल मीडिया पर आलोचना बढ़ने लगी तो रांची के उपायुक्त मंजूनाथ भजंत्री ने स्वयं ट्विटर (अब एक्स) पर सामने आकर सफाई दी। उन्होंने लिखा:
“सोशल मीडिया पर वायरल एक वीडियो में यह कहा जा रहा है कि कलेक्टर के काफिले को निकालने के लिए ट्रैफिक रोका गया। मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि वह गाड़ी कलेक्टर की नहीं थी, ना ही उसमें कलेक्टर सवार थे। कलेक्टर के लिए ट्रैफिक रोका नहीं जाता। कृपया किसी अन्य वीडियो को आधार बनाकर गलत जानकारी न फैलाएं और आम नागरिकों में भ्रम की स्थिति उत्पन्न न करें।”
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
सोशल मीडिया पर वायरल इस वीडियो को लेकर लोगों में गुस्सा और असंतोष देखने को मिला। कई यूज़र्स ने इसे प्रशासन की ‘वीवीआईपी कल्चर’ मानसिकता बताया और इसे ब्रिटिश हुकूमत से जोड़ते हुए “भूरे अंग्रेज़ों का राज” करार दिया।
एक पोस्ट में कहा गया, “जब अंग्रेजों का राज था, तब बरसात में कलेक्टर के काफिले के लिए जनता को इंतजार करना पड़ता था। आज़ादी के बाद भी यही हाल है।”
दिखाए जा रहें तथाकथित वीडियो में कलेक्टर नहीं हैं ना ही कलेक्टर की गाड़ी हैं।
कलेक्टर के लिए ट्रैफिक नहीं रोका जाता। अन्य कोई वीडियो को दर्शाते हुए, ग़लत तथ्यों को कृपया ना पेश करें, जो आम नागरिको में भ्रम की स्थिति पैदा करें।@khurpenchh https://t.co/EESsPIzhVY
— DC Ranchi (@DC_Ranchi) June 11, 2025
हालांकि रांची डीसी की सफाई के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि वायरल वीडियो में दिखाया गया काफिला कलेक्टर का नहीं था, लेकिन यह घटना प्रशासन और ट्रैफिक व्यवस्था पर कई सवाल खड़े करती है। वीडियो में दिख रही स्थिति आम नागरिकों के लिए कितनी असुविधाजनक थी, यह साफ झलकता है।
प्रशासन को चाहिए कि इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए ट्रैफिक व्यवस्था को और पारदर्शी और जवाबदेह बनाया जाए, जिससे आम लोगों को किसी भी तरह की असुविधा का सामना न करना पड़े। साथ ही सोशल मीडिया पर फैलने वाली किसी भी खबर की सत्यता की पुष्टि करना भी आवश्यक है, जिससे गलत सूचनाओं के कारण अफवाहें और भ्रम न फैलें।