गुमला में बारिश का कहर: जैरा पुल टूटा, 24 गांवों का संपर्क कटा

गुमला: झारखंड में मानसून का कहर जारी है। गुमला जिले के सिसई प्रखंड में लगातार हो रही बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया है। जहां दर्जनों कच्चे घर धराशायी हो गए, वहीं वर्षों पुराने पेड़ भी उखड़कर गिर पड़े। इस बीच, डाढ़हा से छारदा को जोड़ने वाला जैरा पुल पूरी तरह टूट गया है, जिससे करीब 40 हजार की आबादी प्रभावित हुई है और 24 गांवों का संपर्क मुख्य मार्ग से पूरी तरह कट गया है।

पुल ध्वस्त, पैदल आवागमन भी बंद

ग्रामीणों ने बताया कि यह पुल पहले से ही जर्जर था। वर्ष 2024 में इसके दो पिलर ध्वस्त हो गए थे, जिसके बाद प्रशासन ने गाड़ियों की आवाजाही बंद कर दी थी। हालांकि लोग पैदल और साइकिल से गुजरते थे। अब भारी बारिश के चलते पुल का एक और हिस्सा धंस गया है, जिससे पैदल आवागमन भी असंभव हो गया।

2015-16 में बना, शुरुआत से ही खराब

ग्रामीणों के अनुसार, यह पुल 2015-16 में बना था। लंबे इंतजार के बाद बना यह पुल कुछ ही दिनों में धंस गया था। तब से इसकी मरम्मत और नए निर्माण की मांग बार-बार उठती रही, लेकिन आज तक कार्य शुरू नहीं हुआ। अब पूरी तरह ध्वस्त होने के बाद ग्रामीणों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

3 दर्जन से अधिक कच्चे घर गिरे

लगातार बारिश से सिसई और आसपास के गांवों में 3 दर्जन से अधिक कच्चे घर गिर गए हैं। कई परिवार बेघर हो गए हैं और खुले आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। हालांकि, प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य की कोई ठोस पहल अब तक नजर नहीं आई है।

80 साल पुराना पेड़ भी गिरा

सिसई डाकबंगला परिसर में 80 साल पहले लगाया गया तुंद पेड़ नवनिर्मित जिला परिषद डाकबंगला भवन पर गिर गया। इस हादसे से भवन आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हो गया। संयोग से वहां कोई मौजूद नहीं था, जिससे बड़ा हादसा टल गया। बताया जाता है कि इस डाकबंगला में 8 दशक पूर्व विदेशी अतिथि ठहरते थे।

ग्रामीणों की मांग

ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से तत्काल नया पुल बनाने की मांग की है। उनका कहना है कि जब तक वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की जाती, तब तक उनकी जिंदगी और रोजमर्रा के कामकाज पर गहरा असर पड़ता रहेगा।

 गुमला में बारिश का कहर बताता है कि ग्राम्य इलाकों की आधारभूत संरचनाएं कितनी कमजोर हैं। प्रशासन अगर समय रहते नया पुल बनवा देता, तो आज हजारों लोगों का संपर्क गांवों से नहीं टूटता।

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